
प्रदेश में शिक्षकों के 70 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। कैबिनेट ने इनमें से 31 हजार 658 पद भरने की मंजूरी दी है। वैसे तो खाली पद भरने की मशक्कत वर्ष 2013 से चल रही है, लेकिन कैबिनेट द्वारा दिए गए पद भी डेढ़ साल में नहीं भरे जा सके, क्योंकि सरकार परीक्षा की तारीख तय नहीं कर पाई। पीईबी ने दो बार अनुमानित तारीख भी जारी की, लेकिन विभाग उन तारीखों में परीक्षा नहीं करा सका। इसका बड़ा कारण नौकरी के नाम पर अतिथि शिक्षक सहित बड़े वर्ग को साना है। दरअसल, सरकार भर्ती की शर्तों में लगातार संशोधन कराती रही है। अब जबकि भर्ती की शर्तें तय हो गईं और विभाग ने अप्रैल से जून के बीच परीक्षा कराने का लक्ष्य भी तय कर लिया है तो परीक्षा एजेंसी को लेकर स्थिति साफ नहीं हो रही।
हर साल परीक्षा कराने की मंशा
विभाग के मंत्री विजय शाह और अफसर चाहते हैं कि हर साल परीक्षा कराई जाए और जल्द सभी पद भरे जाएं। सूत्र बताते हैं कि माशिमं का इंकार होते ही मप्र ओपन बोर्ड परीक्षा कराने आगे आया है। बोर्ड ने हाल ही में मॉडल स्कूल और उत्कृष्ट स्कूलों की चयन परीक्षा भी कराई है। इसका रिजल्ट महीनेभर में दे भी दिया। बोर्ड इसी आधार पर संविदा शिक्षकों की परीक्षा का काम भी लेना चाहता है। मंत्री इस प्रस्ताव से सहमत बताए जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक उन्होंने प्रस्ताव का अनुमोदन भी कर दिया है, लेकिन विभाग के आला अफसर ओपन बोर्ड की छवि को लेकर फैसला नहीं कर पा रहे हैं। ज्ञात हो कि फर्जी अंकसूची मामले में ओपन बोर्ड के अफसरों-कर्मचारियों के खिलाफ एसटीएफ ने कार्रवाई की थी। इससे पहले भी बोर्ड में कई गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं। हालांकि हाल ही में बोर्ड को सुशासन स्कूल ने अच्छे कार्य प्रबंधन के लिए पहला पुरस्कार दिया है।