सुप्रीम कोर्ट ने MOBILE व BANK से आधार लिंक कराने की LAST DATE बदली

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बैंक अकाउंट और मोबाइल से आधार लिंक कराने की सीमा इसकी संवैधानिक वैधता पर फैसला आने तक बढ़ी दी है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मंगलवार को कहा कि सरकार आधार को जबरदस्ती अनिवार्य नहीं कर सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच आधार की वैधता के मामले में सुनवाई कर रही है।

आधार मामले में सुनवाई क्‍यों?
बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से आधार लिंक करना जरूरी किए जाने के नियम को कोर्ट में चुनौती दी गई है। पिटीशनर्स का कहना है कि ये गैर-कानूनी और संविधान के खिलाफ है। इसमें कहा गया है कि यह नियम संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत दिए गए फंडामेंटल राइट्स को खतरे में डालता है। हाल ही में 9 जजों की की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच ने कहा था कि राइट ऑफ प्राइवेसी फंडामेंटल राइट्स के तहत आता है। इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

ये है मामला
सोशल वेलफेयर स्कीम्स का फायदा लेने के लिए केंद्र ने आधार को जरूरी कर दिया है। इसके खिलाफ तीन अलग-अलग पिटीशन्स सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा था कि सरकार और उसकी एजेंसियां योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को जरूरी ना बनाएं। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ये छूट दी थी कि एलपीजी सब्सिडी, जनधन योजना और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से लाभ लेने के लिए लोगों से वॉलियन्टरी आधार कार्ड मांगे जाएं।

डुप्लीकेशन हटाना सरकार का मकसद
सरकार डुप्लीकेशन हटाने के लिए तमाम योजनाओं में आधार जरूरी कर रही है। इन्श्योरेंस रेग्युलेटर इरडा ने भी सभी इन्श्योरेंस कंपनियों से उनके एजेंट्स के आधार नंबर जमा करनवाने को कहा है। इसका मकसद ऑनलाइन डाटाबेस बनाना है, ताकि डुप्लीकेशन को रोका जा सके। इस डाटाबेस का जिम्मा इन्श्योरेंस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया के पास होगा।
Tags

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !