
बैंक ने आरोप लगाया कि आईडीबीआई की हैदराबाद के बशीराबाद शाखा में कार्यरत राव तथा चेन्नई शाखा में दामोदरन तथा बैंक कर्मियों की मिलीभगत से 21 एग्रेगेटर समूहों के लगभग 220 कर्जदारों ने केसीसी तथा मछली पालन पर उपलब्ध ऋण व अन्य ऋण सुविधाओं के तहत आईडीबीआई की विभिन्न शाखाओं से जारी करा लिया था. यह ऋण साल 2009-08, 2010-11 और 2011-12 के दौरान जारी किए गए.
बैंक के अनुसार 21 दलों द्वारा फर्जी दस्तावेजों तथा दिखाई गई सम्पत्ति से अधिक के मान पर कुल 192.98 करोड़ रुपए का ऋण लिया गया. बैंक ने अलग-अलग ऋण को विभिन्न तारीखों पर डूबा हुआ कर्ज (एनपीए) घोषित कर दिया. बैंक की शिकायत के अनुसार 30 सितंबर, 2017 तक 220 कर्जदारों पर कुल कर्ज 445.32 करोड़ रुपए था.
प्राथमिकी में दर्ज अन्य व्यक्तियों में आदिलक्ष्मी समूह के एम.एल. राव, एस. सुधाकर समूह के समयमंथूला सुधाकर, एन.वी. सुब्बा राजू समूह से नदीमपल्ली वेंकट, सुब्बा राजू, के.एस.वी. प्रसाद राजू, नदीमपल्ली रामा राजू, टी.सी. वेंकटेश्वर राव, पी.एस. चौधरी और बी.सी. रेड्डी व अन्य लोग हैं. सीबीआई ने बैंक समिति के सात सदस्यों पर भी आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक कृत्य करने का मामला दर्ज किया है.