अतिथि विद्वानों की हड़ताल स्थगित, फिक्स वेतन और संविदा नियुक्ति | EMPLOYEE NEWS

भोपाल। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में सेवारत अतिथि विद्वानों को अब हर महीने 25 हजार रुपए वेतन मिलेगा। राज्य सरकार अतिथि विद्वानों को संविदा का दर्जा देने की तैयारी कर रही है। साथ ही इनके नियमितिकरण के प्रस्ताव पर काम करना शुरू कर दिया है। लंबे समय से आंदोलनरत अतिथि विद्वानों और उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री व अधिकारियों के बीच हुई बैठक में इस पर सहमति बन गई है। इसका फायदा करीब 12 हजार अतिथि विद्वानों व लाइब्रेरियन को होगा। मांगों पर सहमति बनने के बाद अतिथि विद्वानों ने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को चावल के दाने देकर अपना आंदोलन स्थगित किया। 

मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा को निरस्त कर अपने नियमितिकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर के अतिथि विद्वान लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। उज्जैन स्थित सांदीपनी आश्रम से एक पोटली में चावल लेकर सुदामा बनकर भोपाल के लिए पैदल यात्रा पर निकले अतिथि विद्वान पिछले दाे दिन से नीलम पार्क में धरने पर बैठे थे। मध्यप्रदेश अतिथि विद्वान संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह सहित अन्य पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल की एक बैठक बुधवार को मंत्रालय में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, एसीएस उच्च शिक्षा बीआर नायडू और आयुक्त उच्च शिक्षा नीरज मंडलोई के साथ हुई। 

तीन साल के लिए होगी नियुक्ति 
डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि विभागीय मंत्री व अधिकारियों ने वर्तमान में सरकारी कॉलेजों में सेवारत अतिथि विद्वानों को संविदा का दर्जा देकर प्रतिमाह 25 हजार रुपए के वेतन पर रखने पर सहमति जताई है। अतिथि विद्वानों की यह नियुक्ति तीन साल के लिए होगी। गर्मियों के अवकाश के दौरान भी इन्हें वेतन दिया जाएगा। साथ ही छुट्टियाें का भी लाभ दिया जाएगा। 

नहीं देना चाहते असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 
अतिथि विद्वानों ने साफ कहा कि वे आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा नहीं देना चाहते हैं। इस दौरान विभागीय अधिकारियों ने अतिथि विद्वानों के नियमितिकरण के प्रस्ताव पर वर्कआउट करने की बात कही। अतिथि विद्वानों ने उच्च शिक्षा मंत्री की सचिव आरती गुप्ता और उच्च शिक्षा विभाग के ओएसडी विजय सिंह को चावल की पोटली सौंपी और अपना आंदोलन समाप्त किया। 

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