
ऐसे में कमजोर अभ्यर्थी है जो कि मैरिट में कुछ अंकों से रूक जाते हैं और उनका चयन नहीं हो पाता है। चयन नहीं हो पाने का कारण सिर्फ और सिर्फ वही अभ्यर्थी होता है जो परीक्षा में चयनित होकर बार बार विभागों को बदलता रहता है। क्योंकि जिन विभागों में प्रतीक्षा सूची उठायी जाती है वहॉं तक तो ठीक है लेकिन जिन विभागों में प्रतीक्षा सूची नहीं उठायी जाती हैं।वहॉ के पदों का क्या। पद खाली रह जाता है और अगली भर्ती में आता है।
जैसे कि - पुलिस आरक्षक पद पर भर्ती होने के बाद, वनरक्षक, आबकारी आरक्षक, परिवहन आरक्षक, एवं जेल प्रहरी। इस प्रकार समान पद पर भी बहुत संख्या में अभ्यर्थी अपना पद त्यागकर अन्य विभागों में चले जाते है। इसलिए हर बार की तरह एक ही अभ्यर्थी के बार बार परीक्षा में मेरिट में आने से कमजोर अभ्यर्थी चयन से बाहर हो जाते है। इसके लिए म.प्र. सरकार को व्यापमं द्वारा परीक्षा में बैठने बाले अभ्यर्थियों को बॉण्ड भरने की व्यवस्था से भी अवगत कराना चाहिए।
या फिर एक ही वर्ष में व्यापम द्वारा चयनित किसी भी विभाग में परीक्षावधीन तक चयनित अभ्यर्थी को इस्तीफा नहीं देने केे आदेश जारी करने चाहिए। इससे कमजोर अभ्यर्थी को पूरा एक साल मिलेगा ताकि वे कहीं ना कहीं तो चयनित होगें।