
उनका कहना है कि केवल किसानों की मौत पर ही इतना बवाल क्यों? मेरे सामने ही 10 विधायकों की मौत हो चुकी है। क्या हम लोगों को तनाव नहीं रहता। किसी को ब्रेन हेमरेज हो जाता है तो किसी की अन्य कारणों से मौत हो जाती है। हम लोग इतने दौरे-यात्राएं करते हैं, जीवन खतरे में रहता है तो फिर केवल किसान की मौत पर ही क्यों इतनी हाय-तौबा मचाई जाती है।
कुछ देर बाद जैसे ही उन्हे समझ आया कि यह तुलना गलत हो गई। विवादित हो सकती है तो उन्होंने मामले को संभालने की कोशिश भी की। उन्होंने कहा- मुझे किसानों से पूरी हमदर्दी है लेकिन क्या करें हम सबकी अपनी-अपनी समस्याएं हैं। जैसे विधायकों को अपने क्षेत्र में काम कराने का दबाव, विद्यार्थियों को पढ़ाई का दबाव, व्यवसायी नफा-नुकसान की चिंता। इस स्थिति में कुछ आत्महत्याएं तक कर लेते हैं। ऐसे में किसान के साथ-साथ इन लोगों की मौत पर भी चिंता-चर्चा होना चाहिए। कुछ नहीं तो किसान की मौत के मामले में हो-हल्ला करने के बजाए हमें आपस में ही चंदा कर उसकी कुछ आर्थिक सहायता करनी चाहिए।