आदिवासी महिलाओं को साड़ी बांटने वाला टेंडर रद्द | MP NEWS

भोपाल। उपचुनाव में फायदा उठाने की नियत से जारी किया गया टेंडर रद्द कर दिया गया है। यह टेंडर आदिवासी महिलाओं को वितरित की जाने वाली साड़ी खरीदने के लिए जारी किया गया था। लेकिन तेंदूपत्ता संग्रहण के काम में लगी महिलाओं को चुनावी साल में बंटने वाली सिंथेटिक साड़ी का पहला सैंपल ही फेल हो गया। लघु उद्योग निगम से टेंडर जारी होने के बाद मुंबई और सूरत की नौ कंपनियों ने साडियां सप्लाई करने में रुचि दिखाई थी, लेकिन केंद्र सरकार की संस्था टेक्सटाइल कमेटी को जब कंपनियों से मिले सैंपल भेजे गए तो वह जांच के दौरान मापदंडों पर खरे ही नहीं उतरे। 

अब निगम ने दोबारा टेंडर जारी किए हैं। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि राज्य सरकार मार्च-अप्रैल में साडियां बांटनी चाहती है। कंपनियों को साड़ी सप्लाई करने के लिए 60 दिन का समय भी दिया जाना है। इसलिए सारी प्रक्रिया फरवरी में ही पूरी की जा सकती हैं। यहां बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार पिछले 7-8 साल से चरण-पादुका के साथ साड़ियां भी वितरित कर रही है। इसे देखते कुछ माह पहले ही मप्र में पहल हुई। 

लघु वनोपज संघ ने चरण-पादुका वितरण की प्रक्रिया प्रारंभ की। दिसंबर में साडियां देने की योजना भी जोड़ दी गई। टेंडर जारी हुए, लेकिन सैंपल फेल होने के कारण 5 फरवरी को उसे निरस्त कर दिया गया। अब दोबारा से टेंडर किए गए हैं। बताया जा रहा है कि सिंथेटिक साड़ी की अनुमानित कीमत 80 रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक है। 

जैम है तो LUN से ही खरीदी क्यों? 

लघु उद्योग निगम के सूत्रों का कहना है कि पहले साड़ी के लिए खादी ग्रामोद्योग से बात की गई, लेकिन सूती साड़ी को लेकर बात नहीं बन पाई। लिहाजा खादी ग्रामोद्योग से अनापत्ति लेने के बाद लघु वनोपज संघ द्वारा एलयूएन से कहा गया कि वह सिंथेटिक साड़ी के लिए टेंडर निकाले। जैम से खरीदी को लेकर भी बताया गया कि यह एक विकल्प है। जैम से या एलयूएन से या विभाग खुद खरीदी कर सकता है। 

एलयूएन के लिए भी विकल्प खुले हुए हैं

पहले टेंडर में शामिल कंपनियों ने जो सैंपल दिए थे वे फेल हो गए। इसीलिए दोबारा टेंडर बुलाए गए हैं। जैम से खरीदी का सवाल है तो एलयूएन के लिए भी विकल्प खुले हैं। 
वीएल कांताराव, एमडी, लघु उद्योग निगम 

पहला टेंडर रद्द् हो चुका है, अब दूसरे की तैयारी है 

सरकार के आदेश के बाद ही एलयूएन से खरीदी करा रहे हैं। टेंडर की कार्यवाही चल रही है। पहला टेंडर तो रद्द हो चुका है। पहली बार साड़ियों का वितरण होगा। 
जवाद हसन, एमडी, लघुवनोपज संघ 
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