राज्यसभा चुनाव: मेघराज और सत्यव्रत की सीट पर दावेदारों की कतार | MP NEWS

भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने अगले महीने राज्यसभा के लिए चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है। ऐसे में प्रदेश में अप्रैल में खाली हो रहीं 5 राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए राजनीतिक बिसात बिछने लगी है। 5 में से 4 सीटें भाजपा के पास होंगी जबकि 1 सीट कांग्रेस को मिलेगी। भाजपा की 4 सीटों में से 3 बाहरी नेताओं को मिलेंगी। केवल 1 सीट है जिस पर दावेदारों की लम्बी कतार लग गई है। इधर कांग्रेस की 1 सीट पर भी इस बार भारी संघर्ष देखने को मिलेगा। मप्र की गुटबाजी और हाईकमान की राजनीति के अलावा अब दीपक बावरिया की नई नीतियां भी हैं जो दावेदारों को परेशान करेंगी। 

2 अप्रैल को मप्र में दो केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत, प्रकाश जावड़ेकर समेत तीन सांसद मेघराज जैन, एल गणेशन एवं कांग्रेस के सत्यवृत्त चतुर्वेदी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ऐसे में 23 मार्च को मप्र की 5 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव की कार्यवाही पूरी होना है। राज्यसभा की 5 सीटों में से 4 भाजपा एवं 1 कांग्रेस के खाते में जाएगी। केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत एवं प्रकाश जावड़ेकर का फिर से राज्यसभा जाना तय है, क्योंकि ये दोनों नेता मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री है। एल गणेशन भी फिर जाएंगे। क्योंकि भाजपा हाईकमान उन्हें मप्र से राज्यसभा भेजकर दक्षिण में कर्नाटक एवं तमिलनाडु में फायदा लेना चाहती है। 

मेघराज जैन दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। ऐसे में उनकी जगह अन्य दावेदारों को राज्यसभा भेजा जा सकता है। दावेदारों की नजर मेघराज जैन की सीट पर है। इनमें मप्र हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष कृष्णमुरारी मोघे, भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं कार्यालय मंत्री अजय प्रताप सिंह, पूर्व केंद्रीय विक्रम वर्मा एवं प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद गोटिया का नाम शामिल है। सिंहस्थ की केंद्रीय समिति के अध्यक्ष माखन सिंह भी इस दौड़ में है। 

भाजपा सूत्र बताते हैं कि केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद मप्र की राज्यसभा सीटों पर प्रत्याशी का चयन भाजपा हाईकमान की मर्जी से हुआ है। दिवंगत अनिल माधव दवे के निधन से रिक्त सीट के लिए भी प्रदेश भाजपा ने 12 नामों का पैनल केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा था, जिसमें उक्त दावेदारों के नाम भी शामिल थे। लेकिन केंद्रीय चुनाव समिति ने आदिवासी महिला संपतिया बाई उइके के नाम पर मुहर लगाई। हालांकि संपतिया का नाम दावेदारों में शामिल नहीं था। 

कांग्रेस दलित-आदिवासी पर लगा सकती है दांव
कांग्रेस में भी एक सीट के लिए दावेदारों के नाम पर मंथन चलेगा। कांग्रेस से राज्यसभा की दौड़ में कई दावेदार हैं, लेकिन जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर राज्यसभा के लिए नाम तय होगा। जिसमें यह संभावना जताई जा रही है कि गुटबाजी थामने के लिए सत्यव्रत्त चतुर्वेदी को फिर मौका दिया जाए। यदि पार्टी हाईकमान चतुर्वेदी को यह मौका नहीं देता है तो फिर किसी दलित या आदिवासी नेता को मौका मिल सकता है। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि चतुर्वेदी राज्यसभा में लंबे समय से हैं, जिस वजह से चुनावी साल में उनके जाने की संभावना कम है। 

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