भोपाल। आज अतिथि विद्वानों का शिवराज सरकार पर उस समय गुस्सा फूट गया जब उदयपुर से भोपाल आयी अतिथि विद्वान पार्वती व्याग्रे ने सरकार के खिलाफ मुंडन संस्कार करवाया। जिस समय पार्वती मुंडन संस्कार करवा रही थी उस समय तमाम महिला अतिथि विद्वानों जो पूरे प्रदेश में कॉलेज में पढ़ाने का कार्य कर रही है उन सभी महिलाओं के आंखों से आंसू बह रहे थे। इतना गमगीन माहौल था कि पुरुष अतिथि विद्वान भी अपने को रोक नहीं सके और उन्होंने भी महिला अतिथि विद्वान के साथ ही अपना मुंडन संस्कार कराया।
आंदोलन के बीच में ही जब पार्वती अपना मुंडन करा रही थी। उस समय लोग यही नारे लगा रहे थे शिव के राज में एक पार्वती को मुंडन कराना पड़ रहा है। आखिर सरकार की वह संवेदनशीलता कहां गई जब वह नारी सशक्तिकरण की बात करती है। उसकी संवेदनशीलता कहां गई जब वह अपने आप को भांजियों का मामा कहता है। उस समय उसकी संवेदनशीलता कहां गई जब वह नारी के चरणों को पूजने की और संस्कारों की बात करता है।
अतिथि विद्वानों ने आज पीएससी के द्वारा सहायक प्राध्यापक पद के लिए जो विज्ञापन जारी किया गया है सरकार से उसे वापस लेने का जोरदार तरीके से मांग की और उन्होंने जो 20-22 वर्षों से अतिथि विद्वान महाविद्यालयों में पढ़ा रहे हैं उन सभी विद्वानों को एक निश्चित वेतनमान पर संविदा नियुक्ति के लिए अपनी आवाज बुलंद की इस दौरान युवक कांग्रेस के अध्यक्ष कुणाल चौधरी ने भी अतिथि विद्वान की मांगों को जायज ठहराया और उन्होंने आश्वासन दिया कि आगामी चुनाव में कांग्रेस का जो घोषणा पत्र जारी किया जाएगा उसमें प्रमुख रुप से अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की मांग को शामिल किया जाएगा। पूरे मध्यप्रदेश से हजारों की तादाद में एकत्रित अतिथि विद्वानों ने शिवराज सरकार के खिलाफ आगामी चुनाव में वोट न करने तथा उसे किसी भी प्रकार का सहयोग ना करने की सामूहिक शपथ ली।
अतिथि विद्वान दिनेश कुमार ने बताया मैं आज पूरे मध्यप्रदेश में हिंदू महासभा को नहीं पूरे राष्ट्र में कहना चाहता हूं कि यह जो आज नारीत्व का जो अपमान हुआ है हमारी बहन ने आज भारतीय बीजेपी सरकार में हजारों साल पुराना जो दोबारा चरित्र हरण का यह कार्य करवा दिया है यह शर्मनाक है और आज मैं हिंदू महासभा से कहना चाहता हूं कि कहां गई तुम्हारी संस्कृति भारतीय संस्कृति में नारी को सर्वोच्च स्थान माना जाता है मां का बहन का सब का दर्जा दिया जाता है माता सरस्वती पार्वती दर्जा दिया जाता है आज वह संस्कार और संवेदनशीलता कहा गयी।