इलाज के अभाव में मर गई थी बहन, कैब ड्राइवर ने अस्पताल खोल लिया | INSPIRATIONAL STORY

Bhopal Samachar
कोलकाता। यहां के एक कैब ड्राइवर सैदुल लश्कर की 17 साल की बहन को छाती में संक्रमण हो गया था। पैसों के अभाव में वह उसका इलाज ठीक से नहीं करा सका और इसके चलते मारुफा की साल 2004 में मौत हो गई। इस घटना ने सैदुल को झकझोर कर रख दिया। आमतौर पर लोग जहां जहां इसे नियति का खेल मानकर चुप बैठ जाते हैं, सैदुल ने ठाना कि अब कोई और पैसों के अभाव में अच्छे इलाज से वंचित नहीं रहेगा। उसने 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद एक हॉस्पिटल का निर्माण कर लिया है, जिसका नाम बहन की याद में मारुफा स्मृति वेलफेयर फाउंडेशन हॉस्पिटल रखा गया है। कोलकाता के बाहरी इलाके पुनरी में बने इस अस्पताल में 100 से अधिक गांवों को सस्ता इलाज मिल सकेगा।

30 बेड और लगेंगे
शनिवार से छह बेड वाले इस अस्पताल में आउटडोर डिपार्टमेंट ऑपरेशंस शुरू हो गया है और अगले छह महीनों में इसमें 30 बेड लगाए जाने की उम्मीद है। अस्पताल बनाने का काम सैदुल के लिए आसान नहीं था। सैदुल ने बताया कि अस्पताल के लिए दो बीघा जमीन खरीदने के लिए उसे तीन लाख रुपए की जरूरत थी।

उसके पास इतने पैसे नहीं थे और इसलिए उसकी पत्नी शमीमा ने अपने सारे जेवर उसके सौंप दिया ताकि वह इसे बेचकर जमीन खरीदने के लिए पैसे जमा कर सके। शमीमा ने बताया कि वह नौ साल से एक एक पाई अस्पताल बनाने के लिए जोड़ रहे थे। मुझे पता था कि वह एक दिन सफल जरूर होंगे।

लोगों से मांगा दान
सैदुल अपनी कैब में बैठने वाली सवारियों से भी दान मांगते थे। इस तरह के एक दाता ने सैदुल के अस्पताल के उद्घाटन के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया था। यह युवा लड़की 23 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर सृष्टी घोष थी। सैदुल ने बताया कि कालिकापुर की रहने वाली सृष्टि और उनकी मां मेरी टैक्सी से जा रहे थे। जब मैंने उन्हें अस्पताल के लिए दान देने के लिए कहा, तो सृष्टि ने 100 रुपए दिए और मेरा नंबर भी लिख लिया।

पिछले साल जून में, वह मेरे अस्पताल में आई थी और मुझे 25,000 रुपए दे गई थी, जो उसकी पहले महीने की सैलरी थी। सृष्टी में मैं अपनी बहन को देखता हूं। इसीलिए अस्पताल के उद्धाटन के लिए मैंने उसे ही बुलाया था।

आज तक अस्पताल बनाने के लिए सैदुल ने 36 लाख रुपए खर्च किए हैं। अस्पताल की पहली मंजिल पर वह बाहरी मरीजों के लिए बनाना चाहते हैं, जबकि दूसरी मंजिल में पैथोलॉजी लैब होगी। कुछ संगठनों से भी उन्हें मदद मिली है, जिन्होंने एक्स-रे मशीन और ईसीजी मशीन दान में दी है। सैदुल का अगला कदम एक नर्सिंग स्कूल के साथ काम करना है और अस्पताल में नर्सों के रूप में काम करने के लिए स्थानीय लड़कियों को प्रशिक्षित करने में मदद करना है।
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