कर्मचारियों से इस तरह की अंडर टेकिंग अवैध: हाईकोर्ट | EMPLOYEE NEWS

ग्वालियर। शासन कर्मचारियों से यह नहीं लिखवा सकता कि संबंधित नियम के खिलाफ कोर्ट में केस नहीं लड़ेंगें। प्रिंसीपल सेक्रेट्री इस मामले में अधीनस्थ अधिकारियों को अतिशीघ्र निर्देश जारी करें। यह आदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शासन की ओर से कर्मचारियों से इस तरह की अंडर टेकिंग लेना अवैध है। 

स्थायी वर्गीकरण का लाभ नहीं देने पर पीएचई विभाग में मीटर क्लर्क राजीव प्रकाश श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में अवमानना याचिका दायर की। शासन की ओर से इसमें जवाब पेश किया गया कि उक्त कर्मचारी का वर्गीकरण अधिकृत अधिकारी ने नहीं किया था। इसलिए वह निरस्त कर दिया गया है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता देवेश शर्मा ने तर्क रखा कि शासन ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की विनिमियतकरण पॉलिसी बनाई है। लेकिन कर्मचारियों को इस पॉलिसी का लाभ देने के लिए अंडर टेकिंग ली जा रही है। 

इसमें कहा गया है कि हम कभी भी नियमितिकरण एवं स्थायी वर्गीकरण निरस्त करने के खिलाफ संबंधित कोर्ट में केस नहीं लगाएंगे। अधिवक्ता ने तर्क के साथ कर्मचारी से ली गई अंडर टेकिंग संबंधी दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए। कोर्ट ने शासन के इस आदेश को अवैध ठहराया। साथ ही प्रिंसीपल सेक्रेट्री को आदेश दिए कि वह तुरंत ही अधिकारियों को निर्देश दें कि कर्मचारियों से इस तरह की अंडरटेकिंग नहीं ली जाए। वहीं याचिकाकर्ता को वर्गीकरण निरस्तीकरण के मामले में अलग से याचिका लगाने की स्वतंत्रता दी। 

पीएचई के याचिकाकर्ता कर्मचारी राजीव प्रकाश को शासन ने 2004 में स्थायी वर्गीकृत किया था। लेकिन इसके बाद उसे वेतन लाभ नहीं दिए। कर्मचारी ने वेतन लाभ के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कोर्ट ने आदेश दिया कि कर्मचारी के दस्तावेजों का परीक्षण करें। साथ ही नियमानुसार होने पर इन्हें वेतन लाभ दिया जाए। वेतन लाभ नहीं मिलने पर कर्मचारी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में अवमानना याचिका दायर की। इसमें शासन ने कहा कि उक्त कर्मचारी का नियमितिकरण वैध नहीं था इसलिए निरस्त कर दिया गया। 

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