
वित्त मंत्री द्वारा संसद पेश किये गये बजट के बाद नौकरी-पेशा और मिडिल क्लास के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। मिडिल क्लास के लोगों को उम्मीद थी सरकार की आेर से टैक्स स्लैब में छूट की दर 2.5 लाख से बढ़ाकर तीन लाख किया जायेगा, मगर सरकार ने तथाकथित तौर पर 40 हजार रुपये की छूट देकर लोगों को लॉलीपॉप थमाने की कोशिश की है।
बजट पेश होते ही बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स बेहद उतार-चढ़ाव वाले कारोबार में 58 अंक टूट गया। शेयरों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी पूंजीगत लाभ कर जैसे बजट प्रस्तावों से बाजार की धारणा प्रभावित हुई। दोपहर के कारोबार में बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 460 अंक तक नीचे आ गया। कारण वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा शेयर बाजारों के एक लाख रुपये से अधिक के लाभ पर दीर्घावधि का 10 प्रतिशत का पूंजीगत लाभ कर लगाने की घोषणा थी।
2017-18 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सकल घरेलू उत्पाद के 3.2 प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत करने के अनुमान से भी बाजार धारणा पर असर हुआ। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.3 प्रतिशत तय किया गया है, जबकि राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन कानून में इसके लिए तीन प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है। बाजार में भारी बिकवाली दबाव था, लेकिन कारोबार के अंतिम घंटे में घरेलू संस्थागत निवेशकों की लिवाली से इसका असर कम हो गया।
वित्त मंत्री ने वेतनभोगियों के मौजूदा टैक्सेबल इनकम में से 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन करने की घोषणा की, लेकिन इसका फायदा कम सैलरीवालों को ही मिलने की उम्मीद है. इसका मतलब हुआ जितनी सैलरी पर टैक्स बनेगा, उसमें से ४० हजार घटाकर टैक्स देना होगा| इसका लाभ २.५ करोड़ वेतनभाेगी और पेंशनर्स को ही मिलेगा। इसका अर्थ हुआ कि ४० ००० रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए खर्च या निवेश का कोई हिसाब-किताब नहीं मांगा जायेगा। पहले भत्ता के रूप में सालाना १९,२०० रुपये और चिकित्सा व्यय के रूप में १५ हजार रुपये के खर्च पर कर छूट मिलती थी, जिसे इस बजट में मिलाकर 40 हजार रुपये कर दिया गया है। इस तरह पहले ३४,२०० रुपये के खर्च पर कर छूट मिलती थी. अब ४० हजार रुपये की छूट मिलेगी। यानी केवल ५८०० रुपये पर अतिरिक्त छूट। महत्वपूर्ण बात यह है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने २०१४ में खुद आयकर छूट ५ लाख करने की मांग की थी लेकिन, सत्ता में आने के बाद वह खुद भी अभी तक इस मांग को पूरा नहीं कर पाये। कुल मिलाकर खाली केतली दिखाकर भजिये बनाने के लायसेंस ज्यादा यह कुछ भी नहीं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।