नई दिल्ली। बात जब बच्चों की आती है तो मोहल्ले का छोटा सा दुकानदार भी उसे प्यार के साथ उसे कुछ ना कुछ ज्यादा दे देता है परंतु ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज़ जैसी कंपनी बच्चों के बिस्कुट में चोरी कर रही थी। पैकेट में कम बिस्किट्स होने की शिकायत पर कंज्यूमर कोर्ट ने जुर्माने के रूप में ब्रिटानिया कंपनी को 25 हजार रुपये कंज्यूमर वेलफेयर फंड में जमा करने का फरमान सुनाया है। साथ ही कोर्ट ने ग्राहक को 6000 रुपये का भी भुगतान करने को कहा है।
नगरपुरा, अहमदाबाद, गुजरात निवासी लालजीभाई पटेल ने जुलाई 2012 में ब्रिटानिया मैरी गोल्ड के 6 पैकेट्स खरीदे थे। पैकेट्स में नेट क्वांटिटी 122.5 ग्राम लिखी थी लेकिन उन्हें जब पैकेट का वजन किया तो वह लिखे बजन से कम निकला। जिसके बाद उन्होंने सोला स्थित आईएसओ 9001 लैब से इसे वैरिफाइ कराया तो पता चला कि चार पैकेट्स का वजन दावे के अनुसार 122.5 ग्राम से कम है। इनमें एक पैकेट का वजन 104 ग्राम था।
इसके बाद पटेल ने अहमदाबाद स्थित कंज्यूमर फोरम में कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इस पर कंपनी ने अपने जवाब में कहा कि बिस्किट की मैन्युफैक्चरिंग और पैकेजिंग स्वचालित मशीन से होती है और प्रॉडक्ट को लीगल मैट्रॉलजी (पैकेज वस्तु) 2011 नियम के प्रावधानों के अनुसार तैयार किया गया है। कंपनी ने अपने बचाव में कहा कि वजन में बदलाव, मौसम और ट्रांसपोर्टेशन की वजह से ऐसा हो सकता है। हम 90 सालों से इस काम में जुड़े हुए हैं, और ब्रिटानिया ब्रैंड है।
कंपना के इस जवाब पर ग्राहक का कहना था कि वजन में 7-8 फीसदी कटौती की गई है। कोर्ट को दूसरी रिपोर्ट अप्रैल 2017 में मिली। यह पहली रिपोर्ट से थोड़ी अलग थी। चारों पैकेट प्रिंटेड वैल्यू से कम वजन के थे। जिस पर कोर्ट ने कहा कि वजन घटने के लिए स्वीकार्य त्रुटि 117 ग्राम है और इससे कम भी एक पैकेट पाया गया है। जिसे देखकर ये पता चलता है कि ये जानबूझकर किया गया है।