
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि सहकारिता अधिनियम के तहत हर जिला सहकारी बैंक एक पूर्ण स्वायत्त संस्था है, इसका अपना स्वतंत्र संचालक मंडल होता है, इसलिए अपेक्स बैंक को जिला सहकारी बैंकों के लिए स्टेट कैडर में भर्ती करने का अधिकार ही नहीं है। गौरतलब है कि अपेक्स बैंक ने पिछले साल यानी मार्च-2017 में 37 जिला सहकारी बैंकों में खाली क्लर्क और कंप्यूटर ऑपरेटर के पदों को भरने के लिए 1634 पदों पर भर्ती निकाली थी। इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन (आईबीपीएस) के जरिए परीक्षा कराई गई थी। 6 मई को प्री और 6 जून को मुख्य परीक्षा का हुई थी। मुख्य परीक्षा के 3 दिन बाद यानी 9 जून को इसका फाइनल रिजल्ट आना था।
हाईकोर्ट ने इस भर्ती में राज्य सरकार के आरक्षण नियम लागू करने को सही ठहराया है, जबकि 38 याचिकाकर्ताओं ने अपेक्स बैंक में आरक्षण नियम लागू करने को ही चुनौती दी थी। कुल 1634 पदों पर होने वाली भर्ती में से 618 पद अनारक्षित वर्ग के लिए थे। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 267, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 437, ओबीसी वर्ग के 101, विकलांग के लिए 59 और भूतपूर्व सैनिकों के लिए 152 पद आरक्षित हैं। विकलांग और भूतपूर्व सैनिकों के कोटे के पदों में भी एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण भी बांटा गया है। यानी भर्ती प्रक्रिया के अंदर भी आरक्षण का प्रावधान कर दिया गया है।
54 हजार उम्मीदवारों ने दी थी परीक्षा
इस भर्ती परीक्षा के लिए करीब 55 हजार उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिनमें से 54 हजार ने प्रारंभिक परीक्षा दी थी। प्रारंभिक परीक्षा में चयनित 7 हजार उम्मीदवार मुख्य परीक्षा में शामिल हुए थे। उम्मीदवारों से परीक्षा शुल्क के रूप में 3.5 करोड़ से अधिक रकम अपेक्स बैंक ने जमा कराई थी।
कोर्ट के फैसले पर विधि विशेषज्ञों से राय लेंगे
अदालत के आदेश की समीक्षा की जा रही है। हाईकोर्ट के फैसले पर विधि विशेषज्ञों से राय लेंगे। इसी के बाद तय करेंगे कि इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाए या नहीं।
आरके शर्मा, प्रभारी प्रबंध संचालक, अपेक्स बैंक
750 कांट्रेक्ट वर्कर को कोई राहत नहीं
जिला सहकारी बैंकों में कार्यरत 750 कॉन्ट्रेक्टर वर्कर को हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है। कॉन्ट्रेक्टर वर्कर्स ने ही अनुभव के आधार पर उन्हें निमियित करने और यहां तक कि सीधी भर्ती पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिकाएं दायर की थीं। वहीं, आईबीपीएस ने इस भर्ती परीक्षा के लिए प्रदेश के बाहर भी सेंटर बनाए थे। इनमें अहमदाबाद, नासिक, दिल्ली, रायपुर, मुंबई, लखनऊ, झांसी जैसे शहर शामिल थे, जबकि आवेदकों को लिए मध्यप्रदेश का मूल निवासी होने की शर्त रखी गई थी।