
कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकारा
सुनवाई के दौरान राजस्थान-मध्यप्रदेश सरकार की ओर से वकील तुषार मेहता ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट से अपील कर कहा कि कानून व्यवस्था को देखते हुए फिल्म की रिलीज़ पर बैन लगना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील तुषार मेहता के सवाल के पैराग्राफ के उस हिस्से को पढ़ा जिसमें कहा गया है कि चूंकि कुछ ग्रुपों ने हिंसा की चेतावनी दी है, इसलिए फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना राज्य सरकार कर्तव्य है। कोर्ट ने कहा है कि इस याचिका को क्यों कबूला जाए।
हम इतिहासकार नहीं हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारों को कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। हिंसा को बढ़ावा देने वाले कुछ ग्रुपों को राज्य सरकारें प्रोत्साहित नहीं कर सकती है। कुछ ग्रुप लगातार हिंसा की धमकी देकर रिलीज रोकने की अपील कर रहे हैं। सेंसर बोर्ड ने अपना काम किया है। कोर्ट ने कहा कि हम लोग इतिहासकार नहीं हैं और यह फिल्म ऐसा बिल्कुल नहीं कहती है कि ये पूरी तरह इतिहास पर आधारित है।
सड़कों पर उतरेगी करणी सेना
करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी हम फिल्म का विरोध करेंगे। राज्य सरकारें दोहरा मापदंड अपना रही हैं। सेंसर बोर्ड केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है। अगर वह सच में फिल्म को बैन करना चाहते हैं तो उसके खिलाफ अध्यादेश लाना चाहिए। हम लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फिल्म पर लगे बैन को हटाने के फैसले के बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान ने कोर्ट में पुर्नविचार याचिका डाली थी।
गौरतलब है कि दोनों ही राज्यों में आने वाले समय में चुनाव हैं, इसलिए अपने-अपने राज्यों में हो रहे विरोध को लेकर राज्य सरकारें गंभीर हैं। राज्य सरकारों के अलावा करणी सेना और अखिल भारतीय क्षेत्रीय महासभा ने भी अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की हुई है। इससे पहले चार राज्यों ने फिल्म पर बैन लगाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था और राज्य सरकारों को फिल्म रिलीज़ के लिए पूरी सुरक्षा प्रदान करने को कहा था।