
मामला हिसार में हुई एक दुर्घटना से जुड़ा है, जिसमें अखबार के एक हॉकर की बस के नीचे आने से मौत हो गई थी। अमरनाथ नामक व्यक्ति 14 दिसंबर 2011 को बस से उतरते हुए उसके पिछले टायर के नीचे आ गया था। उसके परिजनों ने मुआवजे के लिए मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल की।
याचिका पर मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने वाहन मालिक और चालक को जिम्मेदार ठहराते हुए 5 लाख 20 हजार रुपये मुआवजा तय किया। इसके बाद वाहन मालिकों और पीड़ित पक्ष दोनों ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। जहां वाहन मालिक और ड्राइवर को हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी, वहीं पीड़ित पक्ष को राहत देते हुए मुआवजा राशि 5 लाख 50 हजार 120 रुपये कर दी।
यात्रियों की संख्या के हिसाब से बीमा की दलील नहीं मानी
इस मामले में वाहन के मालिक और ड्राइवर की दलील थी कि बीमा कंपनी ने यात्रियों की संख्या के हिसाब से बीमा किया था और ऐसे में अमरनाथ को मिलाकर भी वाहन में निर्धारित संख्या से अधिक यात्री नहीं थे। वहीं, बीमा कंपनी ने दलील दी कि बिना टिकट के कैसे अमरनाथ को यात्री माना जा सकता है। हाईकोर्ट ने इस पर याचिका का निपटारा करते हुए जारी आदेशों में यह व्यवस्था दी कि वाहन में वेंडिंग के लिए चढ़ा व्यक्ति यात्री की परिभाषा में नहीं आता। उसके लिए बीमा कंपनी को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है।
वेंडिंग के लिए चढ़े व्यक्ति या बिना टिकट के व्यक्ति को यात्री की परिभाषा में नहीं रख सकते इसलिए मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के लिए ड्राइवर और मालिक बाध्य हैं। हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को मृतक के परिजनों को मुआवजा देने और बाद में इसे वाहन मालिक और ड्राइवर से रिकवर करने की छूट दे दी।