फिर जांच की जद में आए कमलनाथ: सिख विरोधी दंगे | MP NEWS

भोपाल। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में शामिल मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा सीट से सांसद कमलनाथ एक बार फिर जांच की जद में आ गए हैं। कमलनाथ के खिलाफ सिख विरोधी दंगों का नेतृत्व करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं परंतु उन्हे क्लीनचिट भी मिलती रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दंगों की नए सिरे से जांच करने के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश दे दिए हैं। एक बार फिर कमलनाथ जांच की जद मेंं आ गए हैं। बता दें कि कमलनाथ 2018 में मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में सीएम कैंडिडेट के प्रमुख दावेदार हैं। पिछले दिनों हुए पंजाब चुनाव में कांग्रेस ने कमलनाथ को पंजाब का प्रभारी बनाया था। तब भी सिख समाज ने उनका जबर्दस्त विरोध किया ओर कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था। 

क्या है मामला
1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। सरकार ने कहा था कि यह जनता का आक्रोश है परंतु आरोप लगाए गए कि इन दंगों का नेतृत्व कांग्रेसी नेताओं ने किया। पंजाब में नरसंहार हुआ। सिखों की संपत्तियां जला डाली गईं। कहा जाता है कि 1984 में सेना की तैनाती में जानबूझकर देरी की गई, पुलिस ने दख़ल देने से इनकार कर दिया। 

कमलनाथ की भूमिका क्या थी
आरोप है कि इन दंगों में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमल नाथ, एचकेएल भगत, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार ने दंगाइयों का नेतृत्व किया जिन्होंने सिखों को मारा और उनका सामान लूट लिया। दंगाई साफ़ तौर पर किसी के इशारों पर काम कर रहे थे और संगठित थे। इसके बाद पार्टी में कमलनाथ रॉकेट की तरह ऊपर उठे। टाइटलर, भगत और सज्जन कुमार को बचाने की कोशिशें भी अच्छी तरह इतिहास में दर्ज हैं। पार्टी उन्हें चुनावों में उतारती रही और वे महत्वपूर्ण पदों पर काबिज़ रहे। अपने कर्तव्य का पालन करने में नाकाम रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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