हमने जनकल्याण के लिए सौंदर्य त्यागा है, अपमान का बदला नहीं चाहिए | KHULA KHAT

प्रदेश के पीड़ित और शोषित अध्यापक संवर्ग के मेरे भाइयो और बहिनों, आप सभी को मेरा प्रणाम। साथियों, आप सभी के द्वारा हम बहनों को जो स्नेह और सम्मान दिया है उससे अभिभूत हूँ। पूरे कार्यक्रम के बाद घर पहुँच कर खुद को संभाला और फिर प्रतिक्रियाओं को देखा सुना। मैं यह कहना चाहती हूँ कि हमने शासन प्रशासन को हमारे कार्यक्रम के लिए पूरे भोपाल शहर में जगह मांगी किन्तु किसी ने हमारा सहयोग नहीं किया। अंत में हमको एक शांतिपूर्ण कार्यक्रम के लिए डेढ़ लाख रु और संगठन के पूरे दस्तावेज जमा करने पर जम्बूरी मैदान मिला। जिसके लिये पैसों का इंतज़ाम हमारी बहनों ने और भाइयों ने जैसे तैसे किया। 

बिचौलियों की जरूरत नहीं
अब देखने में आ रहा है कि अध्यापक संवर्ग के हितों की बात जब जब हमने सरकार से की, सरकार ने संवर्ग की कम और अध्यापक नेताओं की भलाई पर ज्यादा ध्यान दिया। जबकि मेरा मानना ये है कि यदि सरकार ईमानदारी और पारदर्शिता से हमारी मांगों का समाधान कर दे तो किन्हीं बिचौलिए नेताओं की जरूरत ही नहीं। 

हमने जनकल्याण के लिए सौंदर्य त्यागा है, अपमान का बदला नहीं चाहिए
मेरा प्रदेश के मुख्यमंत्री जी से यही कहना है कि आप अध्यापकों की समस्याओं को हल कराइये न कि अध्यापक नेताओं की महत्वाकांक्षाओं का पोषण कीजिये। हम हमारे संवर्ग के मुद्दों का समाधान चाहते हैं न कि किसी तरह की पॉलिटिक्स। कुछ लोग जो सोशल मीडिया पर ये निराधार बातें कर रहे हैं कि हम इस केश त्याग के अपमान का बदला लेंगे और 21 जनवरी को भोपाल भर देंगे या आंदोलन कर देंगे। तो मेरा इन भाई बहनों से निवेदन है कि मैंने अपने अध्यापक संवर्ग की भलाई के लिए ये निर्णय लिया था ठीक वैसे जैसे कि अच्छाई के रास्ते में अपना सौंदर्य त्याग कर माता पार्वती ने भी महाकाली का रूप लिया था। उसमें उद्देश्य जनकल्याण था न कि किसी अपमान का बदला लेना। इसलिए स्पष्ट कहती हूँ कि 21 जनवरी से जो आप लोग ये मान सम्मान का सवाल बना कर विद्यालयों को बन्द कराने की बात कर रहे हैं तो मैं अपने विद्यार्थियों के लिए इस कीमती समय को उनसे नहीं छीनने की अपील करती हूँ। हम ऐसे किसी मूवमेंट को समर्थन नहीं दे सकते जो मेरे मान सम्मान के नाम पर गुरुओं और शिष्यों के बीच एक दीवार खड़ी कर दे। कौन वो अध्यापक होगा जो विद्यार्थियों के इस कीमती समय का नुकसान कर अपना हित करना चाहेगा?

हम स्कूल बंद नहीं करेंगे
हमको हमारे संवर्ग का हित करने के साथ साथ प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को भी ठीक करना है इसके लिए स्कूलों को हम बन्द करने की बात कैसे कर सकते हैं। हां, हमको विद्यालय समय के बाद अपने पालकों से, समाज सेवियों से, शिक्षाविदों से और सामाजिक कार्यकर्ताओ से मिलकर ये बताना होगा कि आखिर आपकी बहनों को ये कठोर कदम क्यों उठाना पड़ा। 

बस हमारे अधिकार दे दीजिए
आज पूरे प्रदेश में हर वर्ग के हमारे पालक और सरकारी स्कूलों के भूतपूर्व छात्रों से निवेदन है कि प्रदेश के गुरुकुलों और उसकी आत्मा शिक्षक और विद्यार्थियों के सुखद और सुरक्षित भविष्य के लिए हमारा साथ दे। हम किसी भी प्रकार की राजीनीति से दूर रहकर भी अपने हक की लड़ाई लड़ें। अंत में माननीय मुख्यमंत्री जी और उनकी सरकार के प्रमुख माननीयों से निवेदन करती हूँ कि हमको हमारे अधिकार दे दीजिये ताकि हम अपने विद्यालयों में जाकर पूर्ण मनोयोग से विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण का कार्य करते रहें।

आपकी बहन
शिल्पी शिवान | प्रांताध्यक्ष
आजाद अध्यापक संघ, मध्यप्रदेश

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