शिवराज सिंह की घोषणा पर अध्यापकों को भरोसा नहीं | ADHYAPAK SAMACHAR

गुना। शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को लेकर अध्यापक और संविदा शिक्षकों का आंदोलन निर्णायक रहा। क्योंकि, रविवार को मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि अब केवल एक ही विभाग स्कूल शिक्षा रहेगा, जहां गुरुजी, शिक्षाकर्मी, अध्यापक जैसे नाम खत्म होंगे लेकिन इस घोषणा के बाद भी अध्यापक और संविदा शिक्षक संगठनों में एकराय नहीं बन सकी है। कुछ संगठनों ने सीएम की घोषणा का स्वागत किया है, तो कुछ संगठन समय सीमा तय और आदेश जारी होने से पहले इसे घोषणा से ज्यादा मानने को तैयार नहीं हैं। फिर भी, उक्त घोषणा पर अमल होता है, तो जिले के करीब 7 हजार अध्यापक व संविदा संवर्ग को लाभ मिलेगा।

दरअसल, शिक्षा विभाग में संविलियन सहित अन्य मांगों को लेकर अध्यापक और संविदा शिक्षक संवर्ग करीब दो दशक से संघर्ष कर रहा है। इसके लिए तमाम आंदोलन, धरना-प्रदर्शन भी किए गए, लेकिन सरकारों (कांग्रेस-भाजपा) से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिले। इसी का नतीजा है कि अब अध्यापकों ने निर्णायक लड़ाई का मन बनाया है। इसकी शुरुआत भी राजधानी से हुई, जहां महिला अध्यापकों ने मुंडन कराकर अपने इरादे साफ कर दिए। इसकी देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। क्योंकि, उक्त आंदोलन प्रदेश से जिलास्तर पर भी जारी रहा, जहां अध्यापकों द्वारा मुंडन कराना और रैली व प्रदर्शन जारी रहा। 

इसी बीच 21 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा एक घोषणा की गई। इसमें कहा गया कि अब सिर्फ शिक्षक होंगे और गुरुजी, शिक्षाकर्मी, अध्यापक जैसे नाम खत्म कर दिए जाएंगे। इतना ही नहीं, स्थानांतरण, गुरुजी की वरिष्ठता, मातृत्व अवकाश सहित अन्य वह चीजें, जो सरकारी शिक्षक को मिलती हैं, सब अध्यापक संवर्ग को मिलेंगी। लेकिन मुख्यमंत्री की उक्त घोषणा के बाद भी अध्यापक व संविदा शिक्षकों में 'कहीं खुशी-कहीं गम' जैसे हालात बने हुए हैं।

घोषणा से अध्यापकों में हर्ष
शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को लेकर अध्यापक करीब 20 वर्षों से संघर्ष करते आ रहे हैं। इसी का नतीजा है कि आज मुख्यमंत्री ने उक्त मांग को पूरा करने का ऐलान किया है। इससे जिले के लगभग 7 हजार अध्यापक व संविदा शिक्षक लाभांवित होंगे। सीएम की घोषणा से अध्यापकों में हर्ष है और स्वागत भी करते हैं।
नरेंद्र भार्गव, जिलाध्यक्ष, राज्य अध्यापक संघ गुना

अध्यापक संवर्ग आज भी 6वें वेतनमान को तरस रहा है
मुख्यमंत्री की घोषणा समय जस की तस लागू हो जाती है, तो हम स्वागत करेंगे। 20 सालों में सरकारें किसी भी पार्टी की रही हों, लेकिन आश्वासन से ज्यादा अब तक कुछ नहीं मिला है। इससे पहले भी सीएम ने तमाम घोषणाएं की हैं, लेकिन अध्यापक संवर्ग आज भी संविलियन व 6वें वेतनमान को तरस रहा है।
प्रमोद रघुवंशी, जिलाध्यक्ष, मप्र कर्मचारी कांगे्रस, गुना

नहीं तो उज्जैन में तर्पण करेंगे
मुख्यमंत्री को घोषणावीर की उपाधि मिल चुकी है, जिसका अनुमान पूर्व की तमाम घोषणाओं के हश्र को देखकर लगाया जा सकता है। यदि समय सीमा में आदेश जारी किया जाता है, तो घोषणा का स्वागत है। अन्यथा चरणबद्ध आंदोलन में जिलास्तर पर मुंडन कार्यक्रम पूरा किया है, आगामी दिनों में उज्जैन में तर्पण का कार्यक्रम होगा।
चंद्रलेश श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष, आजाद अध्यापक संघ गुना

इस तरह की घोषणाएं तो होती रही हैं
अध्यापक पूर्व में भी धोखा खा चुके हैं इसलिए जरूरी है कि मुख्यमंत्री समय सीमा तय करते हुए आदेश जारी करें, तभी उक्त घोषणा का मतलब है। क्योंकि, इस तरह की घोषणाएं तो होती रही हैं। यदि ऐसा नहीं होता है, तो अध्यापकों का संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। वैसे भी अध्यापकों की मांगें जायज हैं, जो पूरी होना ही चाहिए।
भगवत झा, जिलाध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संघ गुना

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