जो शिवराज की आंधी में 25 हजार से हारा, उसे फिर टिकट थमा दिया | MP BY-ELECTION NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मुंगावली और कोलारस विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने सिर्फ एक-एक नाम का पैनल भेजा है। अत: राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास विचार करने के लिए कोई विकल्प ही नहीं दिया गया। पैनल में मुंगावली से बाईसाहब यादव का नाम भेजा गया है। निश्चित रूप से वो दमदार प्रत्याशी मानी जा रहीं हैं परंतु कोलारस से जो नाम भेजा गया है, उस पर तो इतिहास ही उंगली उठा रहा है। जो नेता मप्र में शिवराज सिंह के नाम की आंधी के वक्त 25 हजार वोटों की शर्मनाक हार गले में लटकाए घूम रहा हो, उसे ​भाजपा फिर से टिकट थमाने जा रही है। 

भाजपा ने कोलारस विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के लिए पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन का नाम भेजा है। यहां से भाजपा के जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी एक दमदार विकल्प थे, गांव गांव तक पैठ रखने वाले पूर्व विधायक वीरेन्द्र सिंह रघुवंशी भी बेहतर नाम थे परंतु सीएम शिवराज सिंह एवं नंदकुमार सिंह चौहान ने देवेन्द्र जैन को चुना और पैनल में एकमात्र नाम दिल्ली भेज दिया। 

देवेन्द्र जैन के चुनावी इतिहास में उपलब्धियां कम, शर्मनाक हार ज्यादा हैं। 
1993 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर ये पहली बार विधायक बने और यहीं से इनकी राजनीति की शुरूआत हुई। शिवपुरी में इन्हे 'पत्तेवाला' कहा जाता है। 
1998 में ये 2 ट्रक प्रचार सामग्री रखे बैठे रहे, भाजपा ने इन्हे टिकट ही नहीं दिया। 
भाजपा में जिलाध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। कार्यकर्ताओं ने नरेन्द्र बिरथरे को जिताया। 
शिवपुरी नगरपालिका अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़े, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी जगमोहन सिंह सेंगर से हार गए। 
2008 में जब मप्र में दिग्विजय सिंह विरोधी लहर चल रही थी, तब कोलारस विधानसभा से मात्र 283 वोटों से जीते। 
2013 में जब मप्र में शिवराज सिंह की लहर चल रही थी, देवेन्द्र जैन को 25000 वोटों से शर्मनाक हार मिली। 
हार का सदमा इन्हे इस कदर लगा कि 3 साल तक इन्होंने कोलारस की तरफ मुंह उठाकर भी नहीं देखा। 
अब 2018 पार्ट-1 के लिए पैनल में इनका इकलौता नाम भेजा गया है। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के विशेष आशीर्वाद एवं सीएम शिवराज सिंह की स्पेशल कृपा से इनका टिकट फाइनल हो चुका है। 
लेकिन सवाल अब भी वही है, जो शिवराज सिंह की आंधी में बुरी तरह से हार गया था, क्या वो शिवराज विरोधी लहर के समय जबकि प्रमोशन में आरक्षण भी बड़ा मुद्दा है, यह सीट भाजपा के खाते में जमा करवा पाएगा। 
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