मेजर आदित्य के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी नहीं करेगी आर्मी | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। जम्म-कश्मीर के शोपियां में 250 हमलावरों का शिकार हुए आर्मी मेजर आदित्य के खिलाफ आर्मी ने किसी भी तरह की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी करने से इंकार कर दिया है। बता दें कि इस हमले में आर्मी ने अपने बचाव में फायरिंग की थी। मेजर आदित्य आर्मी टुकड़ी के साथ थे। फायरिंग में 2 हमलावर मारे गए थे। जम्म-कश्मीर की भाजपा-पीडीपी सरकार ने मेजर आदित्य एवं आर्मी की पूरी टुकड़ी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। भाजपा-पीडीपी सरकार ने आर्मी हेडक्वार्टर से कहा कि वो मेजर के खिलाफ इन्क्वायरी चलाएं लेकिन आर्मी ने इससे साफ इंकार कर दिया है। 

र्मी सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि वे मेजर आदित्य के खिलाफ किसी तरह की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी नहीं करेंगे। मेजर फायरिंग वाली जगह पर नहीं थे, बल्कि करीब 200 मीटर की दूरी पर थे। आर्मी के काफिले पर करीब 250 लोगों ने पत्थरबाजी की थी। भीड़ लगातार उग्र होती जा रही थी, अपनी हिफाजत के लिए आर्मी पर्सनल्स को फायरिंग करनी पड़ी। बता दें कि 27 जनवरी को फायरिंग के मामले में 10 गढ़वाल रेजिमेंट के मेजर समेत उनकी यूनिट के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

250 लोगों ने हमला किया था, फायरिंग करना जरूरी था
सूत्रों के मुताबिक, '"शोपियां में सेना के काफिले को करीब 250 लोगों ने घेरकर पत्थरबाजी शुरू कर दी थी। एक JCO हालात का जायजा लेने नीचे उतरा, लेकिन पत्थर लगने से वो गिर पड़ा। भीड़ लगातार उग्र होती जा रही थी, अपनी हिफाजत के लिए आर्मी पर्सनल्स ने हवा में फायरिंग की। जब भीड़ बहुत करीब आ गई और पत्थरबाजी करती रही, तब आर्मी ने गोलियां चलाईं। जिस जगह फायरिंग हुई, मेजर वहां से 200 मीटर की दूरी पर थे। बता दें कि रविवार को श्रीनगर में एक आर्मी स्पोक्सपर्सन ने कहा था कि सेना ने तब गोली चलाई, जब भीड़ ने उनके एक जूनियर कमीशंड अफसर को मारने की कोशिश की और उसके हथियार छीन लिए।

कब और कहां हुई फायरिंग?
अफसरों के मुताबिक, शनिवार को सेना का एक काफिला शोपियां के गनोवपोरा गांव से गुजर रहा था। इसी दौरान कुछ प्रोटेस्टर्स ने काफिले पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। जवाब में सिक्युरिटी फोर्सेज ने उन्हें भगाने के लिए कुछ राउंड फायरिंग की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई।

केस चलाने के लिए केंद्र से लेनी होगी इजाजत
शोपियां में फायरिंग की घटना को लेकर महबूबा सरकार के ऑर्डर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आर्मी पर्सनेल्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। हालांकि सेना के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में केस चलाने के लिए पुलिस को केन्द्र से मंजूरी लेनी होगी। 2001 के बाद से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 50 मामलों में आर्मी के खिलाफ केस चलाने की इजाजत मांगी है, जिनमें से 47 मामलों में इसे ठुकरा दिया गया। जबकि तीन मामलों में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया।

पाकिस्तान ने भी दिया बयान
जम्म-कश्मीर के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान का दखल बढ़ता जा रहा है। वह छोटी छोटी घटनाओं पर विपक्षी दल की तरह प्रतिक्रियाएं करने लगा है। जिस घटना में आर्मी के 14 ट्रकों को नुक्सान पहुंचा, 1 वाहन बर्बाद हो गया, 7 अधिकारी घायल हुए और 1 अधिकारी को 250 हमलावरों ने घेर लिया उस मामले में PAK फॉरेन ऑफिस ने भारतीय सेना की बचाव में की गई फायरिंग की निंदा की। बयान जारी करते हुए कहा, 27 जनवरी को शोपियां में फायिरंग में 3 सिविलियन मारे गए। शांतिपूर्ण और निहत्थे प्रदर्शनारियों पर जानलेवा हथियारों का प्रयोग और गोलियां चलाना सरकारी आतंकवाद का एक और नमूना है। कश्मीरियों के खिलाफ भारत की तरफ से ऐसा रोज किया जा रहा है। हम पूरी तरह से कश्मीरियों के साथ हैं। इंटरनेशनल कम्युनिटी को इस सिस्टमैटिक ह्यूमन राइट वॉयलेशन पर ध्यान देना चाहिए।

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