भोपाल। सेव टाइगर के नाम से भारत में अभियान चलाया जा रहा है। टाइगर की जान बचाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन वनविभाग जंगल में मौजूद टाइगर्स को भोजन तक नहीं करा पा रहा। शहडोल में एक टाइगर की भूख से तड़पते हुए मौत हो गई। हालांकि मध्यप्रदेश में भूख से इंसानी मौतों की कहानी पुरानी है। कुपोषण के कारण मौतों में तो मध्यप्रदेश रिकॉर्ड बना चुका है परंतु बाघ जैसे महत्वपूर्ण जानवर की भूख से मौत बड़ा मामला है।
कल्याणपुर के जंगल में मृत मिला बाघ छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व का राजा बताया जा रहा है। वह अचानकमार से शिकार की तलाश में निकला था, जिसे कुछ ही दिनों पहले अमगवां रेंज में ट्रैप किया गया था। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और वन वृत्त शहडोल के आला अफसरों का कहना है कि कल्याणपुर के जंगल में जो बाघ मृत मिला है वह बांधवगढ़ नेशनल पार्क का नहीं है। वह अचानकमार टाइगर रिजर्व का है, जो अमगंवा रेंज होते हुए कल्याणपुर की ओर पहुंचा था।
पेट पूरी तरह से था खाली
शहडोल सर्किल के सीसीएफ प्रशांत जाधव ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि कल्याणपुर के जंगल में जिस बाघ की मौत हुई वह प्राकृतिक थी। बाघ का पेट पूरी तरह खाली था, जिस कारण उसे सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी थी। लगातार भूखे होने की वजह से उसकी मौत हुई होगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि वह शिकार की तलाश में रहवासी क्षेत्र की ओर बढ़ा होगा लेकिन वह इतना ज्यादा कमजोर हो चुका था कि किसी का शिकार भी नहीं कर सका। पीएम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो चुका है कि न तो उसे जहर दिया गया और न ही किसी किसी भी प्रकार के हथियार या औजार से उसे चोट पहुंचाई गई।