वारंटी मंत्री की तलाश में पुलिस के बाद कांग्रेसी भी निकले | mp news

भोपाल। कांग्रेस विधायक की हत्या के मामले में वारंटी मंत्री लाल सिंह आर्य की तलाश अब भिंड पुलिस के अलावा युवक कांग्रेस एवं एनएसयूआई के कार्यकर्ता भी कर रहे हैं। लोगों को मंत्री के फोटो के साथ वांटेड के मैसेज किए जा रहे हैं। तथा अपील की जा रही है कि ये मंत्रीजी जहां कहीं भी दिखें तत्काल डायल 100 एवं नजदीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करें। यदि ये कहीं किसी रेस्ट हाउस में हों तो कृपया पुलिस के आने तक उसका दरवाजा बाहर से बंद रखें। इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह का कहना है कि मंत्रीजी जहां भी हैं, इस देश में ही हैं। मध्यप्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक कैबिनेट मंत्री अंडरग्राउंड हो गया और पुलिस उसकी तलाश कर रही है। 

खबर आ रही है कि NSUI ने उनके खिलाफ शहरभर में वांटेड के पोस्टर भी चिपका दिए गए हैं। एनएसयूआई ने उनके घर, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर वांटेड के पोस्टर चिपका दिए हैं।  पोस्टर्स पर लिखा है 'WANTED शिवराज के लाल, मंत्री लाल सिंह आर्य' । कांग्रेस विधायक माखनलाल जाटव की हत्या के मामले में आरोपी मंत्री के खिलाफ भिंड की अदालत ने गैर जमानती वारंट निकाला है। हफ्तेभर बाद भी पुलिस मंत्री को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। 

सामान्य प्रशासन के साथ आनंद विभाग

मंत्री आर्य के पास सामान्य प्रशासन विभाग के साथ ही आनंद विभाग का जिम्मा भी है। देश के इकलौते आनंद मंत्री गायब हैं। मंगलवार को भोपाल में कैबिनेट की बैठक में भी नहीं आए। एक हफ्ते से किसी सरकारी बैठक में भी नहीं पहुंचे हैं। भिंड जिले के गोहद में भी मंत्री के घर से भी पुलिस की टीम बैरंग लौट आई। आनंद मंत्री की गिरफ्तारी के लिए भिंड पुलिस भोपाल में चार इमली में मंत्री के बंगले में भी दबिश दे चुकी है, लेकिन मंत्री कहां हैं, ये गार्ड को भी नहीं पता है।

भिंड में छुपे हैं लाल सिंह आर्य
मंत्री लाल सिंह आर्य अपने सरकारी बंगले पर नहीं हैं। भोपाल के किसी भी वीवीआईपी रेस्ट हाउस में भी नहीं हैं। यहां तक कि ऐसी किसी भी जगह पर नहीं हैं जहां वीवीआईपी ठहरते हैं। भिंड पुलिस की टीम उनकी तलाश कर रही है। एक टीम सादा वर्दी में भी उनकी खोजबीन कर रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह ने इशारा किया है कि वो प्रदेश में ही हैं। सोशल मीडिया पर यह संदेह जताया गया है कि वो भिंड में ही छुपे हुए हैं। वो एक सामाजिक संगठन के पदाधिकारी के घर पर हैं जो शायद उनका रिश्तेदार भी नहीं है। 

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