
साथ ही पाटीदार समाज ने भी एकजुट होकर सरकार के खिलाफ माहौल बनाया। इन लोगों ने सोचा कि मोदी जी तो अब गुजरात में आएंगे नहीं इसलिए उन्होंने कांग्रेस को सपोर्ट कर सरकार बनाने की रणनीति तैयार की। यदि नरेंद्र मोदी चुनाव के आखिर में 10-12 दिन गुजरात में प्रचार की कमान नहीं संभालते तो गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं बनती।
पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का वोट ही नहीं बढ़ पाता, क्योंकि गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा सरकार को समर्थन नहीं मिल रहा था लेकिन शहरों में समर्थन प्राप्त हो रहा था। यह समर्थन नरेंद्र मोदी की ईमानदारी और व्यक्तित्व के कारण मिल रहा था और यह जीत नरेंद्र मोदी जी के खाते में जाएगी।
गौर ने कहा कि जातिवाद की वजह से पाटीदार समाज के लोग अलग हो गए अनुसूचित जाति के लोग अलग हो गए ग्रामीण क्षेत्र के लोग अलग हो गए। उन्होंने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी का मामला भी एक मुद्दा था। यह सभी मामले एक साथ हमारी सरकार के विरोध में खड़े हो गए। गुजरात का व्यापारी, मजदूर और किसान भी सरकार के खिलाफ हो गया लेकिन ऐसे समय पर नैया को पार लगाना केवल नरेंद्र मोदी के हाथ में था।