MP BJP अब सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट्स से परेशान | MP NEWS

भोपाल। SOCIAL MEDIA के सहारे देश का सबसे बड़ा चुनाव जीत चुकी भाजपा के सामने मध्यप्रदेश में बड़ी समस्या सामने आ गई है। मप्र भाजपा को सोशल मीडिया पर वो रेस्पांस नहीं मिल रहा है जो दूसरे प्रदेशों में दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं मप्र की भाजपा सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट्स से भी परेशान है। दूसरी विचारधारा वालों को ट्रोल कर चुकी भाजपा मप्र में खुद ट्रोलिंग का शिकार हो रही है। इसी सिलसिले में भाजपा की बड़े स्तर पर मीटिंग भी हुई। 

दरअसल, बीजेपी के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने आईटी-सोशल मीडिया पर आयोजित वर्कशॉप में इस बात की ताकीद युवा कार्यकर्ता और नेताओं को की है। इसके साथ ही पार्टी ने ये भी तय किया है कि चुनाव आने से पहले ट्विटर और फेसबुक से आगे बढ़कर कॉरा जैसे नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दस्तक देकर जनता के दिलों में जगह बनाई जाएगी। सोशल मीडिया को चुनावी जीत का हथियार मान चुकी बीजेपी अब इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर परेशान है। 

नेताओं के पास फर्जी फालोअर्स की फौज
आलम ये है कि सोशल मीडिया में फर्जीवाड़े के रैकेटियर बड़े नेताओं की पहुंच में भी हैं, यहां तक कि उन्हें पैसे के बदले फॉलोअर बढ़ाने के ऑफर मिल रहे हैं। फर्जी फॉलोअर बढ़ाने वालों से सकते में पार्टी अब चुनावी हार जीत के लिहाज से इसे देख रही है, बीजेपी प्रदेश कार्यालय में हुई आईटी-सोशल मीडिया वर्कशॉप में युवा कार्यकर्ताओं को साफ तौर पर ताकीद कर दी गई है कि ऐसे फॉलोअर्स से बचकर रहें।

अमित शाह भी नाराज हो चुके हैं 
इसके साथ ही कार्यकर्ताओं को फेसबुक और ट्विटर से आगे बढ़कर कॉरा जैसे ऐसे सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म पर सक्रिय होने के लिए कहा गया है जिसमें जनता से जुड़े मुद्दों पर संवाद भी संभव हो। सोशल मीडिया को लेकर पार्टी के भीतर इस संजीदगी की वजह राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उस नाराजगी को भी माना जा रहा है जिसमें उन्होंने एमपी के दौरे के दौरान सोशल मीडिया में कम सक्रियता को लेकर दिखाई थी।

मप्र में भाजपा की स्थिति बेहतर नहीं
सोशल मीडिया को लेकर पार्टी स्तर पर ही नहीं नेताओं को लेकर भी एमपी के नंबर अव्वल नहीं हैं। मसलन सोशल साइट ट्विटर पर एमपी बीजेपी के 1 लाख 57 हजार फॉलोअर्स हैं तो वहीं इसके मुकाबले दिल्ली बीजेपी के 2 लाख 51 हजार फॉलोअर्स हैं। गुजरात बीजेपी के 6 लाख 47 हजार और यूपी बीजेपी के 5 लाख 85 हजार फॉलोअर्स हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिहं की हालत भी खराब
इसी तरह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अगर ट्विटर पर 4 मिलियन फॉलोअर्स हैं तो वहीं गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के 5 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर हैं। मध्य प्रदेश के मुकाबले राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भी करीब 3 मिलियन फॉलोअर्स हैं। 

मंत्रियों से कहा फर्जी फालोअर्स से बचें
मुख्यमंत्री से इतर मध्य प्रदेश के मंत्रियों और विधायकों का हाल सोशल मीडिया पर और भी ज्यादा बुरा है। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव और फिर उसके बाद के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली जीत का आधार काफी हद तक सोशल मीडिया को माना गया लेकिन आगामी चुनाव की तैयारी में फर्जी फॉलोअर भारी न पड़ जाएं लिहाजा पार्टी ने इनसे बचने के लिए अभी से कमर कस ली है।

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