
बात उन दिनों की है जब केवलराम शर्मा शिमला के कोटशेरा काॅलेज में बीए की पढ़ाई कर रहे थे तो घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें बीए की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। काॅलेज छोड़ने के बाद उन्होंने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल की कैंटीन में चाय बेचनी शुरू की, पढ़ाई का खर्चा निकल आए इसलिए कैंटीन में बर्तन भी साफ किए। वह दिन में कैंटीन में काम करते और रात को पढ़ाई।
दिन-रात कड़ी मेहनत की और 2006 में प्राइवेट पढ़ाई कर बीए पास किया। बीए करने के बाद एचएएस एलाइड का एग्जाम भी 2006 में पास किया। इसके बाद 2013 में एचएएस क्लियर किया। वैसे इससे पहले 2000 में केवलराम शर्मा का चयन जेबीटी में हुआ था, लेकिन उन्होंने जेबीटी पद को छोड़ कर पढ़ाई जारी रखी। एचएस बनने के बाद वह मंडी जिला के निरमंड तहसील में तहसीलदार बने। इसके बाद नाहन में रिकवरी तहसीलदार व एडीसी सिरमौर भी रहे।
पांच साल तक पीजीआई चंडीगढ़ में प्रशासनिक अधिकारी और सीनियर विजिलेंस आॅफिसर संभाला। इसी साल सितंबर में पीजीआई से डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज नाहन में संयुक्त निदेशक बनकर वापस प्रदेश लौटे।