भोपाल। कॉलेजों में संचालित पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (PGDM) कोर्स को MBA में परिवर्तन किया जा सकेगा। अभा तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) कॉलेजों को इसकी सुविधा देने जा रहा है। सत्र 2018-19 की मान्यता के लिए जो प्रक्रिया शुरू होने वाली है, उसमें COLLEGE को सुविधा दी गई है कि वे पीजीडीएम कोर्स को एमबीए में बदल सकते है। इसके पीछे छात्रों का रुझान 18 महीने के पीजीडीएम कोर्स के बजाए 24 महीने के एमबीए कोर्स में ज्यादा होना है।
मध्यप्रदेश में ही एेसे कॉलेजों की संख्या 21 है जो पीजीडीएम कोर्स संचालित कर रहे हैं। जबकि प्रदेश में एमबीए 217 कॉलेजों में चल रहा है। इसके साथ ही कॉलेज सेकंड शिफ्ट में चलने वाले DIPLOMA COURSES को पहली शिफ्ट में चला सकेंगे। एक अन्य फैसले के तहत B PHARMACY और D PHARMACY कोर्स को एक ही संस्थान में संचालित करने की भी मंजूरी दी गई है। अभी तक बी फार्मेसी कोर्स कॉलेजों में और डी फार्मेसी पॉलीटेक्निक में संचालित होते रहे हैं। सत्र 2018-19 की मान्यता के लिए जो प्रक्रिया शुरू होने वाली है उसमें कॉलेज दोनों कोर्सेस को एक ही कैंपस में चलाने के लिए आवेदन कर सकेंगे। यह सुविधा पिछले साल दी गई थी लेकिन गजट नोटिफिकेशन में इसका जिक्र नहीं था। इस बार गजट में इसका प्रावधान किया गया है।
ज्यादा फीस वसूली तो कड़ी कार्रवाई
तय फीस से अधिक वसूलने और मूल दस्तावेज नहीं लौटाने वाले कॉलेजों संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की व्यवस्था नए नियमों में की गई है। कॉलेजों को छात्र फैकल्टी का अनुपात एआईसीटीई के मापदंड के अनुसार रखना होगा। नियमों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी। इसके साथ ही सीटों में कमी करने, एक सत्र में एडमिशन रोक देने, कोर्स संस्थान की मान्यता रोक देने जैसी कार्रवाई भी की जा सकेगी।
मान्यता के लिए अप्रूवल प्रक्रिया में बदलाव
बीफार्मेसी संस्थाओं में डीफार्मेसी और डीफार्मेसी संस्थाओं में बीफार्मेसी शुरू कर सकेंगे।
काॅलेज पार्ट टाइम कोर्स (PART TIME COURSE) शुरू कर सकेंगे।
पीजीडीएम संस्थानों को एमबीए संस्थानों में परिवर्तित कर सकेंगे।
सेकंड शिफ्ट कोर्स को प्रथम शिफ्ट में बदल सकेंगे।
फैकल्टीज को सैलेरी किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक (NATIONALIZED BANK) से इलेक्ट्राॅनिक क्लीयरेंस सर्विस के माध्यम से ही देनी होगी।