मप्र में आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला हुआ ही नहीं: CBI की खात्मा रिपोर्ट

ग्वालियर। व्यापमं घोटाला (VYAPAM SCAM) के तहत वर्ष 2012 में हुए आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला (MP POLICE CONSTABLE RECRUITMENT SCAM) में सीबीआई ने अपनी खात्मा रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है। सीबीआई ने मप्र पुलिस (MP POLICE) की कार्रवाई और जांच को गलत साबित करते हुए दावा किया है कि इस तरह का कोई घोटाला हुआ ही नहीं। हालांकि विशेष सत्र न्यायालय ने सीबीआई की खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की खात्मा रिपोर्ट आधारहीन है और पुलिस की तरफ से पेश किए गए मामले पर सुनवाई शुरू कर दी। 

कोर्ट ने कहा मप्र पुलिस के केस पर ट्रायल चलेगा
कोर्ट ने कहा कि मामला पुलिस की जांच में दर्ज हुआ है। चालान भी पेश किया है। सीबीआई ने खात्मा पेश करने का कोई ठोस आधार भी पेश नहीं किया है। इसलिए मामले की ट्रायल पुलिस की जांच के आधार पर चलाई जाएगी। कोर्ट ने पड़ाव थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी अनिल उपाध्याय को भी 10 जनवरी को गवाही के लिए उपस्थित होने का आदेश दिया है। 

क्या था मामला
बता दें कि व्यापमं ने वर्ष 2012 में आरक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया था। पड़ाव थाना क्षेत्र अंतर्गत 10 परीक्षार्थी परीक्षा देने आए थे, लेकिन उन्हें परीक्षा के पहले ही मप्र पुलिस ने पकड़ लिया था। इन्हें सॉल्वर के रूप में परीक्षा दिलाने के लिए दूसरे राज्य से लाया गया था। यह कार्रवाई मप्र पुलिस की एक बड़ी सफलता थी। इनके खिलाफ जांच कर पड़ाव पुलिस ने अपर सत्र न्यायालय में 26 दिसंबर 2012 को चालान पेश कर दिया था। इस केस में पुलिस लगभग ट्रायल पूरी कर चुकी थी। अब सिर्फ तत्कालीन थाना प्रभारी अनिल उपाध्याय की गवाही शेष रह गई थी, लेकिन वर्ष 2015 में यह केस सीबीआई को हैंडओवर हो गया। 

सीबीआई डेढ़ साल की जांच में सबूत नहीं जुटा पाई
डेढ़ साल तक सीबीआई ने इस केस में जांच की। आखिरी वक्त में सीबीआई ने खात्मा रिपोर्ट पेश कर चौंका दिया। सीबीआई ने अपनी खात्मा रिपोर्ट में कहा कि आरोपियों के खिलाफ अतिरिक्त जांच की गई, लेकिन कोई भी ऐसा साक्ष्य व गवाह नहीं मिला, जिसके आधार पर केस दर्ज किया जा सके। सभी आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी। 

आरोपियों ने कहा दोषमुक्त करो
खात्मा रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों के अविक्ता दिनेश सिंह राठौर ने कोर्ट में एक आवेदन पेश कर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि एक केस की जांच दो एजेंसियों ने की है। पुलिस ने दूसरे की जगह परीक्षा में बैठने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था, लेकिन सीबीआई की जांच में सभी आरोपी निर्दोष साबित हुए हैं। उनके खिलाफ साक्ष्य नहीं हैं, इसलिए सभी को आरोप मुक्त किया जाए। राठौर का कहना है कि आवेदन खारिज करने के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।

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