
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि, इन मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) एक्ट 2008 के सेक्शन 6 के अंतर्गत केस एनआईए को सौंपने का फ़ैसला किया गया है क्योंकि सभी मामलों में कार्य प्रक्रिया तकरीबन एक ही जैसी थी। डा. वाई.सी. मोदी के नेतृत्व वाली एनआईए टीम द्वारा सोमवार को पंजाब पुलिस के अधिकारियों के साथ किए विचार-विमर्श के बाद केस तब्दील करने का यह फैसला लिया गया है। दोनों टीमों ने इस बात पर सहमति जताई है कि इन मामलों में आगे जांच करने के लिए केंद्रीय एजेंसी समर्थ है। लक्षित की गई इन हत्याएं के साजिशकार और वित्त मुहैया कराने वाले यूके, कैनेडा, इटली आदि देशों से कार्य कर रहे थे जिस से इस जांच का घेरा विशाल करने की जरूरत है।

सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि इस कदम को मुख्य उदेश्य विदेश मंत्रालय इंटरपोल, यूरोपोल और विदेशी सरकारों के सहयोग द्वारा विदेश में बैठे संगठनों और लोगों के विरूद्ध कार्यवाही करना है जो कि विदेशी धरती पर बैठ कर पंजाब के विरूद्ध षंडयत्र रच रहे हैं। यह जरूरी है कि इन तत्वों पर नकेल डाली जाए जो राज्य में कत्ल और तबाही मचाकर पंजाब में आंतकवाद को पुन: स्थापित करना चाहते हैं।
इस फैसले से सोशल मीडिया व किसी विशेष हित वाली संस्थाओं और गैर-सामाजिक तत्वों द्वारा चलाई जा रहे झूठे अभियानों और सरकार को बदनाम करने वाली साजिशों को भी बेनकाब करने में मदद करेगी जिनका मंतव्य अपने गैर-असामाजिक कार्यो के लिए धन जुटाना और पुलिस और जांच एंजिसयों को काम में रूकावट डालना है। एन.आई.ए. के हवाले किए गए सात केसों में आरएसएस के नेता रविन्द्र गौसाई के कत्ल का मामला भी है जिसमें एनआईए के द्वारा जांच की जा रही है। गोसाई का कत्ल 17 अक्तूबर को लुधियाना में हुआ था।
सरकार चाहती है कि आरएसएस के प्रदेश प्रधान ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा के कत्ल का मामला भी एनआईए को सौंपा जाए। इस केस की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। गगनेजा का कत्ल अगस्त 2017 को जांलधर में हुआ था।
