भारत में अब हर घर का एड्रेस बदल जाएगा | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। भारत में अब हर घर का एड्रेस बदल जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार एक ऐसी व्यवस्था करने जा रही है जिसके तहत आपका घर तो वही रहेगा लेकिन एड्रेस बदल जाएगा। मकान नंबर, मोहल्ला, कालोनी, शहर, प्रदेश और पिनकोड की कोई जरूरत नहीं होती। बस एक यूनिक कोड होगा। चिट्ठी पर पते के स्थान पर यूनिक कोड लिख लीजिए, चिट्ठी पहुंच जाएगी। गूगल मेप में यूनिक कोड दर्ज कर दीजिए वो पूरा नक्शा सामने रख देगा। पिन पाइंट लोकेशन मिलेगी। सारा झंझट ही खत्म। सरकार की ई-एड्रेस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए डाक विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। इसमें उसका साथ मैप माई इंडिया कंपनी दे रही है। योजना की शुरुआती दिल्ली, नोएडा और बोकारो से की जानी है।

ऐसे बनेगा यूनिक कोड
आपके घर या ऑफिस के पते की जियो टैगिंग की जाएगी। यानी रिमोट सेंसिंग के जरिये उसकी जियोग्राफिक लोकेशन को दर्ज किया जाएगा। इससे यह लोकेशन डिजिटल मैप से कनेक्ट की जा सकेगी। आपसे मोबाइल नंबर व परिवार के एक या दो सदस्यों का आधार नंबर भी लिया जाएगा।

मैप माई इंडिया के मौजूदा ई-लॉक सॉफ्टवेयर की तर्ज पर डाक विभाग एक सॉफ्टवेयर तैयार करेगा। जिसके जरिये डिजिटल कोड जेनरेट किया जाएगा। छह डिजिट का यह कोड अल्फा न्यूमेरिक होगा, यानी यह अंकों और अल्फाबेट का मिलाजुला रूप होगा। इसमें घर की लोकेशन, गली, मोहल्ला, जिला, राज्य और देश मैप पर टैग रहेगा।

गूगल मैप जैसे किसी भी डिजिटल मैप पर यह कोड डालते ही घर या गंतव्य का पता, मैप पर उसकी जियोग्राफिक लोकेशन सामने आ जाएगी। डाक के अलावा फायर सर्विस, एम्बुलेंस सेवा, आपातकालीन सेवा, कोरियर आदि के लिहाज से भी यह सुविधाजनक होगा। इसे प्रॉपर्टी के रिकॉर्ड से भी जोड़ा जा सकेगा।

असिस्टेंट डायरेक्टर, इंडिया पोस्ट (दिल्ली सर्कल) पीसी शर्मा, ने बताया कि इस योजना के लिए शुरुआती तौर पर दिल्ली और नोएडा को चुना गया है। इसके लिए दिल्ली के दो पिन कोड व नोएडा के एक पिन कोड क्षेत्र को चिह्नित किया जाना है।

बोकारो, झारखंड में सहायक डाक अधीक्षक विश्वजीत राय ने बताया कि दिल्ली और नोएडा के अलावा बोकारो में यह काम किया जाना है। वहीं, मैप माइ इंडिया के प्रबंध निदेशक राकेश वर्मा ने कहा कि आज डिजिटल युग में हर पते को एक डिजिटल पहचान की जरूरत है। इसके लिए दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर स्मार्ट डिजिटल एड्रेस सिस्टम (एसडीएएस) पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला लिया गया है।

स्थलीय सर्वेक्षण के माध्यम से किसी भी पते को छह नंबर-अक्षर का कोड दिया जाएगा, जिसके माध्यम से उस जगह तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा।
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