
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में रहते हुए राधेश्याम जुलानिया काफी सुर्खियों में रहे। उनके कई फैसलों का जनता ने समर्थन किया तो उनका विरोध भी एतिहासिक दर्ज किया गया। मप्र में शायद ही ऐसा कोई आईएएस अफसर हो जिसका इस स्तर तक विरोध हुआ। पंचायत सचिवों के साथ जुलानिया की जद्दोजहद तो सर्वविदित ही है। सरपंच एवं सचिवों ने कई दिनों तक जुलानिया के खिलाफ हड़ताल की थी।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कार्यकाल में जुलानिया ने कई अधिकारियों को भी अपने निशाने पर लिया। लगभग हर बड़ी मीटिंग में उन्होंने किसी ना किसी अधिकारी को सस्पेंड जरूर किया। हालात यह थे कि जिलों में बैठे कलेक्टर भी जुलानिया से घबराते थे। एक मामले में तो कलेकटर ने पुलिस बुलाकर अधिकारी को इसलिए अरेस्ट करवा दिया था क्योंकि जुलानिया नाराज थे। चंद रोज पहले ही राजगढ़ में जुलानिया ने भावांतर योजना का विरोध कर रहे किसान से कहा था कि किसानी छोड़कर मनरेगा में मजदूरी करो या फिर सरपंच का चुनाव लड़ लो। (ताजा खबरों के लिए पढ़ते रहिए BHOPALSAMACHAR.COM)