
मंगलवार 21 नवम्बर 17 को पहली बार इस संदर्भ में मंत्रीस्तर पर चर्चा हुई। वित्तमंत्री जयंत मलैया और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव समेत कुछ मंत्रियों ने सवाल खड़े किए। कहा- यदि फांसी के साथ तमाम प्रावधान सख्त किए जाते हैं तो दुष्कर्म करने वाला व्यक्ति पीड़िता काे जान से मार डालेगा। इसी तरह कई मामलों में बाद में झूठ और सच का पता चलता है। लिहाजा इस पर विचार होना चाहिए। यह सुनते ही शिवराज सिंह बैकफुट पर आ गए।
अजीब बात यह है कि शिवराज सिंह ने कई बार यह ऐलान किया परंतु अब तक किसी ने उन्हे यह नहीं बताया कि वो गलत दिशा में जा रहे हैं। इसके 2 अर्थ निकाले जा सकते हैं। पहला तो यह कि शिवराज सिंह की टीम में कानून के संबंधित समझ रखने वालों की काफी कमी है और दूसरा यह कि भाजपा के दिग्गज भी शिवराज सिंह का मजाक बनते देखने के लिए पहले से तैयार थे। जब तक मामला आधिकारिक मीटिंग में नहीं आ गया, किसी ने शिवराज को नहीं टोका। अब यदि बलात्कारी को फांसी का कानून नहीं बनता तो शिवराज सिंह की जनता में भद पिटेगी और यदि बनता है तो यह पीड़िताओं के लिए जानलेवा हो जाएगा।