जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा कर्मी ग्रेड-1 के पद पर नियुक्ति में फर्जीवाड़े को उजागर करने वाले मॉडल स्कूल ब्यौहारी के शिक्षाकर्मी ग्रेड-2 देवेन्द्र कुमार वर्मा को परेशान न करने का अंतरिम आदेश सुनाया। इसके तहत साफ किया गया कि आगामी आदेश तक याचिकाकर्ता को न तो मॉडल स्कूल ब्यौहारी से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाए और न ही उसके खिलाफ अन्य कोई कठोर कार्रवाई ही की जाए।शुक्रवार को न्यायमूर्ति वंदना कासरेकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता मनीष वर्मा ने रखा।
भाई भतीजावाद और फर्जीवाड़ा हुआ
उन्होंने दलील दी कि 2003 में याचिकाकर्ता शिक्षाकर्मी ग्रेड-1 के लिए चयनियत होने के बाद बाकायदे नियुक्त भी हुआ था लेकिन बाद में उसे जबरन हटाकर भाई भतीजावाद और फर्जीवाड़ा करते हुए किसी अन्य को नियुक्ति दे दी गई। इस रवैये के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ले ली गई। हाईकोर्ट ने मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद यथास्थिति के निर्देश जारी कर दिए। इसके बावजूद फर्जी तरीके से नियुक्त शिक्षाकर्मी ग्रेड-1 को प्रमोशन सहित अन्य लाभ दे दिए गए। इसकी वजह याचिककार्ता के शिक्षाकर्मी ग्रेड-2 बतौर चयनित हो चुकने को बनाया गया।
आरटीआई लगाई तो धमकी भरी चिठ्ठी जारी
याचिकाकर्ता ने जब आरटीआई के जरिए सच्चाई उजागर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी तो विभाग ने बजाए उसका सहयोग करने के एक धमकी भरी चिठ्ठी जारी करके चेतावनी दी कि यदि नेतागिरी नहीं छोड़ी तो ट्रांसफर कर देंगे या नौकरी से निकाल देंगे। इसी रवैये के खिलाफ नए सिरे से हाईकोर्ट के समक्ष गुहार लगानी पड़ी।