
किरीबुरू के न्यू कैम्प में रहने वाली अंजली ने 6 नवंबर को फंदे से लटककर अपनी जान दे दी थी। वहीं आरोपी लड़के के भाई का इस मामले पर कुछ और ही कहना है। उसने कहा कि लड़की कई बार आधी रात के बाद उनके घर आ जाती थी और भाई को बुलाती थी। हम लोग उसे समझाकर वापस भेजते थे।
पापा स्कूल छोड़ने आते थे लेकिन रजिस्टर में अनुपस्थित है
अंजली प्रसाद किरीबुरू प्रोजेक्ट सेंट्रल स्कूल में 12वीं की छात्रा थी। उसके पिता रोजाना उसे स्कूल छोड़ने जाते थे लेकिन स्कूल के अटेंडेंस रजिस्टर के मुताबिक, वो नवंबर में स्कूल में उपस्थित ही नहीं हुई है। यह इस बात का संकेत है कि अंजली किसी ऐसी मानसिक अवस्था में थी जबकि वो सारी दुनिया को समझ ही नहीं पा रही थी। शायद वो किसी दवाब में थी। कोई ऐसा मामला जिसे वो जल्द से जल्द हल करना चाहती थी या फिर दीवानगी, जिसमें इंसान सबकुछ भुला देता है।
अंजली को ब्लैकमेल कर रहा था फरहान
अंजली के पिता यतींद्र नाथ प्रसाद ने दर्ज एफआईआर में बताया कि उनकी बेटी को किरीबुरू के ही रहने वाले एक युवक फरहान अहमद ने अपने प्रेम जाल में फंसाया था। वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने और धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रहा था। धर्म परिवर्तन नहीं करने पर अंजली के साथ फरहान मारपीट करने लगा। कई तरह की यातनाएं दी। इसकी जानकारी उन्हें उनके पड़ोसियों से मिली है। लोक लाज के डर से बेटी ने परिवार से यह बात छुपाई।
रात में घर आ जाती थी थी, फोन भी करती थी
फरहान के बड़े भाई सलमान अहमद ने बताया कि 'मेरे माता-पिता के साथ छोटा भाई फरहान गांव गया है। अंजली कई बार रात के 2 बजे फरहान को बुलाने आती थी। हम लोगों ने कई बार उसे घर भी लौटा दिया था। उस वक्त अंजली के माता पिता कहां थे? जब उनकी बेटी आधी रात के बाद घर से निकल कर मेरे घर आकर फरहान को बुलाती थी।
उसने बताया कि 'अंजली कई बार मेरी मां को फोन कर फरहान से बात करवाने को कहती थी। वहीं, फरहान ने बताया कि मैं निर्दोष हूं। मुझे फंसाया जा रहा है। मैं फरार नहीं हूं। मुझे प्राथमिकी की जानकारी तक नहीं है। प्राथमिकी होने से पूर्व ही मैं अपने परिवार के साथ गांव चला आया था और गांव से लौट कर मैं पुलिस से मिलकर अपनी बात रखूंगा।