रिटायर्ड सीएसपी का बेटा भी बनवा लाया फर्जी बंदूक लाइसेंस | INDORE NEWS

इंदौर। क्राइम ब्रांच की टीम बंदूक के फर्जी लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह के सरगना की तलाश में नगालैंड रवाना हुई। सरगना खुद को एसपी बताकर ठगी करता था। फर्जी लाइसेंस बनवाने वाले पांच आरोपियों में से कुछ ने खुलासा किया है कि अभी तक शहर में 30 से ज्यादा फर्जी लाइसेंस बनवाए गए हैं। इनमें से एक रिटायर्ड सीएसपी के बेटे का भी है। पुलिस ने मामले में संदीप सोनगरा निवासी सुखलिया, अमरदीपसिंह खैरा निवासी अंबिकापुरी, राजेश बैस निवासी स्कीम 78, नवल किशोर गर्ग निवासी स्कीम 114 और जगदीश चौधरी निवासी निरंजनपुर को पकड़ा था। इनके कब्जे से 32 बोर की रिवॉल्वर और 4 पिस्टल जब्त की गई थी।

इनके लाइसेंस जब्त किए गए हैं। कोर्ट ने इनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए दो दिन की रिमांड पर भेजा है। यह बात सामने आई है कि लाइसेंस बनवाने वालों ने चुनाव के दौरान संबंधित थानों पर बंदूकों के लाइसेंस की नकल लेकर हथियार थाने में जमा करवाए थे लेकिन पुलिस ने वेरिफिकेशन नहीं किया। यदि समय पर वेरिफिकेशन हो जाता तो ये लोग पहले ही पकड़ा जाते।

नकली एसपी पुणे में गोलीकांड का आरोपी
सरगना प्रदीप सांगवान नकली एसपी बनकर लोगों पर रौब झाड़ता था। पुणे में उसने गोलीकांड भी किया था। उसने लाइसेंस के नाम पर कई लोगों से आठ से दस लाख रुपए ले रखे हैं। वह देवास नाका स्थित ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी भी करता था। उसके बाद वह फर्जी लाइसेंस बनाने लगा। लाइसेंस बनवाने वालों के दो फोटो व परिचय पत्र लेता और घर बैठे लाइसेंस बनवाकर दे देता।

नगालैंड सरकार को भेजा ई-मेल
क्राइम ब्रांच ने नगालैंड सरकार को ई-मेल भेजकर फर्जी लाइसेंस मामले की जानकारी दी। सरकार से मांग की गई है कि किसी तरह की जानकारी मिले तो वह संपर्क करे। शहर में सांगवान ने एक रिटायर्ड सीएसपी के बेटे अभिषेक तिवारी व साकेत नगर के शैलेंद्र शारडा का भी लाइसेंस बनवाकर दिया था, जिन्हें जब्त कर लिया गया।

कलेक्टोरेट में पहुंची टीम
क्राइम ब्रांच की एक टीम लाइसेंस की पड़ताल के लिए कलेक्टोरेट भी पहुंची। उन्होंने देखा कि लाइसेंस कलेक्टोरेट में रजिस्टर्ड है या नहीं। वहां अधिकारियों से मिलकर टीम ने फर्जीवाड़े की पूरी जानकारी दी। उन्हें यह भी बताया कि यदि इस तरह का कोई लाइसेंस नजर आए तो सूचित करें। एक टीम संवेदनशील स्टेट से भी संपर्क कर रही है। जम्मू-कश्मीर में भी संपर्क किया गया है ताकि जानकारी मिल सके कि कहीं इस तरह के फर्जी लाइसेंस वहां बेचे तो नहीं गए।
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