BHOPAL: हैकर्स ने अपनी स्ट्रैटेजी बदल ली है. अब वो राज्य विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मॉडर्न कार को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. हैकर्स की इस नई रणनीति को लेकर दुनिया की दिग्गज साइबर सिक्योरिटी फर्म ने चेतावनी जारी की है. द इंडिपेंडेंट के मुताबिक, हैकर्स कारों के कम्प्यूटर सिस्टम पर सेंधमारी कर साइबर अटैक को अंजाम दे सकते हैं. साल 2005 के बाद बनी किसी भी कार के सिस्टम को हैकर्स आसानी से हैक कर सकते हैं.
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंटिस्ट जस्टिन कैपोज का कहना है कि हैकर्स बड़ी संख्या में कार एक्सिडेंट के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं. उन्होंने 'द टाइम्स' के साथ बातचीत में हैकर्स की इस नई रणनीति को मौजूदा भू-राजनीतिक हालात में नेशनल सिक्योरिटी इश्यू के लिए गंभीर खतरा बताया है. जस्टिन का कहना है कि अगर किसी देश के साथ स्ट्रॉन्ग साइबर कैपबिलिटी का युद्ध होता है तो मुझे सबसे ज्यादा डर वाहनों की हैकिंग से है. उन्होंने कहा कि हमारे कई शत्रु देशों के पास न्यूक्लियर पावर्स हैं. लेकिन अगर कोई देश कारों को हैक करके साइबर स्ट्राइक करता है तो इससे लाखों नागरिकों की जान जा सकती है. यह सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण खतरा है.
जस्टिन कैपोज का कहना है कि हैकर्स लोगों को कार के अंदर लॉक कर सकते हैं. वो पावर स्ट्रीरिंग को लॉक कर सकते हैं और यहां तक की गाड़ी का ब्रेक फेल भी कर सकते हैं. उन्होंने इस खतरे से बचने के लिए सरकार और कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को अपनी कारों को अपडेट करने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने की गुहार लगाई है. रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में इस वक्त 90 लाख कारें सड़कों पर चलती हैं. इनमें वाई-फाई कनेक्टिविटी मौजूद है. इनबिल्ट जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है. इसके अलावा, सड़कों पर ऑटोमैटिक फंक्शन वाली कारें भी मौजूद हैं. ऐसे में खतरा और बढ़ सकता है. किसी भी कार में 50 से 100 के बीच इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट होते हैं, जो कि एक छोटे कम्प्यूटर की तरह कार के विभिन्न फंक्शन को कंट्रोल करता है.
अमेरिकी रिसर्चर्स की वॉर्निंग के बाद 2015 में जीप चैरोकी की 140 लाख यूनिट्स रिकॉल की गईं थीं. शोधकर्ताओं ने दावा किया था कि वो जीप चैरोकी को रिमोट के जरिए हाईजैक कर सकते हैं. शोधकर्ताओं ने इंटरनेट के जरिए जीप चैरोकी को हाईजैक करके भी दिखाया था.
2015 तक भारत में कुल रजिस्टर्ड मोटर व्हीकल की संख्या 210023289 थी. सबसे ज्यादा मोटर व्हीकल महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और मध्यप्रदेश में रजिस्टर्ड थे. इन राज्यों में 10000000 से ज्यादा वाहनों का रजिस्ट्रेशन था. ऐसे में अगर कोई भी देश कारों को हैक करके साइबर अटैक को अंजाम देता है तो सड़कों पर लाखों लोगों की जान जा सकती है, जो कि परमाणु हमले के बराबर ही होगा.
इसके अलावा, भारतीय सड़कों पर काफी यातायात होता है और अगर हैकर्स ने किसी एक भी गाड़ी को हैक किया तो बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ेगी. इसलिए, कार हैकिंग के जरिए साइबर अटैक को इस वक्त दुनिया के सबसे बड़े खतरे की तरह देखा जा रहा है.