दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर ताउम्र पाबंदी सही है: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

नई दिल्ली। किसी आपराधिक मामले में दोषी पाए जाने के बाद सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाई जानी चाहिए। बुधवार को यह बात इलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में कही। इसके पहले मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं पर सख्त रुख दिखाया। कोर्ट ने पूछा कि कितने नेताओं पर आपराधिक मामले पेंडिंग हैं? नेताओं को दोषी करार देने की दर क्या है? बता दें कि बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की पिटीशन पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इसमें आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक और नेताओं-ब्यूरोक्रेट्स से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने की मांग की गई है।

कल सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच के सामने मंगलवार को पिटीशनर अश्विनी उपाध्याय की ओर से वकील कृष्णन वेणुगोपाल ने दलीलें रखीं। इस दौरान दिनभर सुनवाई चली। 

वेणुगोपाल: सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों का ट्रायल एक साल में पूरा करने का ऑर्डर दिया था। पर उस पर अमल नहीं हुआ। ऐसे मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने के ऑर्डर भी नहीं दिए गए थे।

जस्टिस गोगोई: क्या आपके पास कोई ऐसा डेटा है, जिससे पता चले कि देशभर के ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में कितने सांसदों-विधायकों के खिलाफ केस पेंडिंग हैं। कितनों पर स्टे है? 
वेणुगोपाल: नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड और इलेक्शन कमीशन के पास मौजूद डेटा के आधार पर हम एफिडेविट दायर कर देंगे। 

जस्टिस गोगोई: हमें नहीं लगता कि कमीशन से डेटा मिलना आसान होगा। केस तो लोअर कोर्ट और अलग-अलग हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं। 
वेणुगोपाल:एक अनुमान के तौर पर 34% सांसदों का आपराधिक रिकॉर्ड है। दागियों के चलते चुनाव की पवित्रता से समझौता हो रहा है। पार्टियां भी दागियों को बढ़ावा देती हैं, क्योंकि इनके पास खूब पैसा होता है और वह पार्टी के लिए वोट डलवा सकते हैं। इनके चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाना ही सही होगा। 

जस्टिस गोगोई: चुनावों में पवित्रता के लिए आपकी बेचैनी हम समझ सकते हैं। क्या आपको लगता है कि नेता के खिलाफ ट्रायल एक साल से लंबा चलने से कोई रुकावट पैदा होगी। अगर किसी जज पर आरोप तय होते हैं या एफआईआर होती है तो उसके साथ क्या होता है? 
वेणुगोपाल: जजों के लिए काफी सख्त और हाई स्टैंडर्ड के पैरामीटर बनाए गए हैं। अगर जजों के साथ ऐसा हो सकता है तो नेताओं के साथ क्यों नहीं? अगर किसी नेता को अदालत दोषी ठहराती है तो उसके राजनीति करने पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए। आजीवन रोक की मांग इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे लोगों के खिलाफ सुनवाई पूरी नहीं हो पा रही है।

पार्टियों में कितने दागी MP-MLA
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी के 523, कांग्रेस के 248 और आप के 26 सांसद-विधायक दागी हैं।

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