
वाणिज्यिक कर विभाग के अफसरों का कहना है कि एक जुलाई से पहले बनी और बिकी प्रापर्टी तथा मटेरियल पर जीएसटी नहीं लगेगा। ऐसे में सरकारी निर्माण एजेंसियों से मकान खरीदने वाले लोग लाखों रुपए का अतिरिक्त भार पड़ने से परेशान हैं। जिन लोगों ने 1 जुलाई 2017 के पहले मकान खरीदा और उसका पूरा पैसा एक साथ नहीं चुका सके उनसे ये निर्माण एजेंसियां बकाया राशि पर जीएसटी ले रही हैं। चालीस लाख के मकान के अगर किसी ने दस लाख रुपए 1 जुलाई के पहले चुका दिए थे और बाकी तीस लाख रुपए अब चुकाना चाहें तो इस राशि पर 5 लाख 40 हजार रुपए जीएसटी के तौर पर जमा कराने के लिए कहा जा रहा है। अफोर्डेबल हाउसिंग में ईडब्ल्यूएस और एलआईजी मकान पांच लाख और 13 लाख रुपए में बुक किए गए हैं तो उन पर बकाया राशि पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जा रहा है।
मेंटेन कर रहे रजिस्टर: BDA
बीडीए के अफसरों ने बताया कि पुरानी प्रापर्टी पर जीएसटी लेने को लेकर स्पष्ट आदेश नहीं है पर अधिकारियों द्वारा जीएसटी को लेकर बनी भ्रम की स्थिति में यह टैक्स वसूलने के लिए कहा गया है। इसलिए जो लोग बकाया जमा करने आते हैं, उनसे जीएसटी मांगते हैं। इसके लिए बाकायदा रजिस्टर मेंटेन कर रहे हैं कि कितना जीएसटी किससे वसूला गया है।
यह तो अवैध वसूली है: डिप्टी कमिश्नर, वाणिज्यिकर
1 जुलाई 2017 के पहले कम्प्लीट और बिकी प्रापर्टी पर किसी तरह का जीएसटी नहीं लगेगा। भले ही इस मामले में पेमेंट बाद में किया जा रहा हो। अगर हाउसिंग बोर्ड या बीडीए को किसी तरह का डाउट है तो शासन से मार्गदर्शन मांगना चाहिए। ऐसे जीएसटी वसूलना गलत है।
आरपी श्रीवास्तव, डिप्टी कमिश्नर, वाणिज्यिकर भोपाल
रविवार को पूछना: वित्तमंत्री
जीएसटी काउंसिल के सारे फैसले तो याद नहीं रहते। रविवार-सोमवार को भोपाल में रहूंगा तो पूछिए। जानकारी लेकर बता पाउंगा।
जयंत मलैया, मंत्री, वाणिज्यिक कर विभाग
अपर आयुक्त को पता ही नहीं
जीएसटी लगना तो नहीं चाहिए पर लेखाधिकारी से जानकारी लेकर ही कुछ कह सकूंगा।
एसके मेहर, अपर आयुक्त, एमपी हाउसिंग बोर्ड