अवैध रेत का कारोबार करते हैं अध्यापक नेता भरत पटेल | ADHYAPAK NEWS

भोपाल। आजाद अध्यापक संघ के विवादित प्रांताध्यक्ष एवं प्रदेश के बड़े अध्यापक नेता भरत पटेल पर आरोप लगा है कि वो अवैध रेत का कारोबार करते हैं। सांध्य दैनिक प्रदेश टुडे ने खुलासा किया है कि सहायक अध्यापक भरत पटेल की मां सरपंच हैं और पिछले दिनों भरत पटेल के खिलाफ अवैध रेत उत्खनन का मामला दर्ज किया गया था। खुलासा यह भी हुआ है कि भरत पटेल को नेतागिरी का इस कदर शौक है कि विभाग को बताया कि उनके सीने में दर्द है और वो इलाज कराने जा रहे हैं, और भोपाल पहुंचकर अध्यापकों की राजनीति करने लगे। 

मेडिकल लीव लेकर राजनीति का आरोप
आरोप लगाया गया है कि मेडिकल लीव के बहाने अध्यापक नेता मौज मस्ती और नेतागिरी करते हैं। चारघाट प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापक भरत पटेल की एक फोटो और मेडिकल लीव के कागज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। सहायक अध्यापक द्वारा सीने में दर्द का बहाना बताकर सादे कागज में संकुल प्राचार्य को अवकाश का आवेदन दिया और मेडिकल लीव के कागज भी अटैच किए गए। दूसरी ओर सहायक अध्यापक भोपाल में कर्मचारी नेताओं के बीच बैठकर राजनीति कर रहे थे। 

ग्रामीण नाराज, बर्खास्तगी की मांग

वहीं सहायक अध्यापक द्वारा आए दिन स्कूल से गायब होने पर ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी से करते हुए बर्खास्त करने की मांग की है। ग्रामीण प्रदीप पटेल ने इसको आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि सहायक अध्यापक की वजह से प्राथमिक स्कूल चारघाट की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो गई हैं, बच्चों को अक्षर ज्ञान नहीं है, बच्चे खुद से पढ़ रहे हैं।

रेत मामले को सेटल करने भोपाल गए भरत पटेल
ग्रामीण कमलेश मरावी, दशरथ पटेल ने आरोप लगाते हुए बताया कि सहायक अध्यापक भरत पटेल सरपंच केशर बाई के पुत्र हैं और सरपंच का अवैध रेत का कारोबार है जिसे सहायक अध्यापक ही संभालते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बीते दिनों माइनिंग विभाग ने चारघाट नाव से भरी रेत जप्त कर भरत पटेल व सरपंच पर प्रकरण बनाया था। इसी मामले को सेटल करने के लिए सहायक अध्यापक सीने में दर्द का बहाना बताकर भोपाल गए हुए हैं।

शिकायत का इंतजार कर रहे हैं डीईओ
एनके चौकसे, जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर का कहना है कि सहायक अध्यापक ने झूठ बोलकर अवकाश लिया है तो कार्रवाई की जाएगी, फिलहाल ऐसी कोई शिकायत कार्यालय नहीं पहुंची है। सवाल यह है कि सहायक अध्यापक की जांच करने की जिम्मेदारी डीईओ की ही है। ऐसी स्थिति में वो शिकायत का इंतजार क्यों कर रहे हैं। क्या डीईओ भी सरकार के खिलाफ होने वाले आंदोलनों को संरक्षण देते हैं। 

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