
परिजनों को भी सूचना दी गई थी
वही मृत बालिका की मां ने बताया कि यदि मेरी बालिका को समय पर उपचार मिलता तो वह बच जाती परिवार वालों को कोई सूचना नहीं दी गई। हॉस्टल द्वारा अपने ही मन से उन्होंने इलाज करवाया और जब गंभीर हालत हो गई तो उसे जिला चिकित्सालय ले आए और हमें सूचना दी कि आपकी बालिका मर चुकी है। अधीक्षिका हमारे वहां ही किराए के मकान पर रहती है लेकिन उनके द्वारा पिता और उसके चाचा जो कि सचिव है ग्राम पंचायत के उनको भी कोई सूचना नहीं दी गई। मामला मंत्री कुंवर विजय शाह जी का क्षेत्र होने के कारण जैसे ही मीडिया में पड़ा तत्काल कलेक्टर एसडीएम शाश्वत शर्मा जिला चिकित्सालय पहुंच गए और छात्रावास अधीक्षक से बंद कमरे में चर्चा भी हुई।
यह पहला मामला नहीं है
आदिवासी क्षेत्र में किसी बालक या बालिका की मौत हुई हो इससे पूर्व में भी बालक बालिकाओं की मौत हो चुकी है। लगातार हॉस्टल छात्रावासों में इस प्रकार की घटनाएं बढ़ती जा रही है। जिला प्रशासन ना तो इसके लिए कोई टीम गठित करता है और ना ही कभी इन हॉस्टल और छात्रावासों में जाकर देख पाते हैं कि क्या इन हॉस्टल और छात्रावासों में बच्चों को किस प्रकार की सुविधाएं दी जा रही है।
पूर्व में विधानसभा में भी मामला उठा था
डीपीसी सोलंकी के पास स्कूल विभाग के साथ डीपीसी का चार्ज घटना कितनी बड़ी है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्ची की मौत के बाद भी 2 घंटे बाद परिजनों को सूचना दी गई आखिर छात्रावासों में क्यों हो रही है लापरवाही इसका जिम्मेदार कौन है।
जिला प्रशासन इन अधीक्षकों को पर कार्यवाही कर जरूर मामले इतिश्री कर लेगा लेकिन घटना की पुनरावृत्ति फिर भी जारी रहेंगी जिला चिकित्सालय में बालिका के माता-पिता चाचा-चाची का रो रो कर बुरा हाल था जिला चिकित्सालय में पुलिसकर्मियों ने मर्ग कायम कर पोस्टमार्टम के लिए शव को भेज दिया।
परिजनों ने अधीक्षक को पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की बेटी तो नहीं लौट सकती एक पिता ने गुहार लगाई जिला प्रशासन से लेकिन उसके जो गुनाहगार दोषी हैं उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।