नोटबंदी-GST: दशक की सबसे फीकी दीपावली, 40 प्रतिशत कम हुआ कारोबार

नई दिल्ली। तो क्या पटाखों को लेकर जो देश भर के भाजपा नेता मचल रहे थे वो इसलिए क्योंकि सरकार को पता था कि यदि उन्होंने ध्यान नहीं बंटाया तो लोग नोटबंदी और जीएसटी के दीपावली जैसे त्यौहार का विश्लेषण करने लग जाएंगे। यह चौंकाने वाला आंकड़ा है कि 2017 की दीपावली पिछले 10 सालों की सबसे ज्यादा निराश कर देने वाली दीपावली है। त्यौहारी सीजन पर कारोबार करीब 40 प्रतिशत नीचे घट गया। यह दावा व्यापारियों की बड़ी संस्था कनफेडरेशन आॅफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को जारी एक बयान में किया। बताया जा रहा है कि यह नोटबंदी और जीएसटी का असर है। 

बाजार के जानकारों के मुताबिक पिछले दस सालों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी रही जिसमें व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों में ही त्योहारी माहौल नहीं बन पाया। देश के रिटेल व्यापार में हर साल लगभग 40 लाख करोड़ का कारोबार होता है। यानी लगभग 3.5 लाख करोड़ प्रति महीना जिसमें से केवल 5 फीसद का हिस्सा संगठित क्षेत्र का है जबकि बचा हुआ 95 फीसद हिस्सा स्वयं संगठित क्षेत्र का है जिसे गलत रूप से असंगठित क्षेत्र कहा जाता है। दिवाली से पहले के 10 दिनों में दिवाली से संबंधित वस्तुओं की बिक्री पिछले सालों में लगभग 50 हजार करोड़ रही है जिसमें इस साल 40 फीसद की कमी दिखाई दी।

कैट के अध्यक्ष बीसी भरतिया और महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि उपभोक्ताओं के पास नकद तरलता की कमी के कारण उनकी खरीद क्षमता पर गहरा असर पड़ा जिसके कारण बाजारों में मायूसी छायी रही। विमुद्रीकरण के बाद बाजारों में अस्थिरता और जब तक बाजार संभला तब जीएसटी के लागू होने के बाद दिक्कतें हुर्इं। इसके बाद जीएसटी पोर्टल के ठीक तरह से काम न कर पाने के कारण से बाजारों में अनिश्चितता का वातावरण बना जिसका असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ा। वहीं 28 फीसद के जीएसटी कर स्लैब का खासा असर भी खरीदारी पर रहा। त्योहारों के बाद अब व्यापारियों की निगाहें 31 अक्तूबर से शुरू होने वाले शादियों के सीजन पर अच्छे व्यापार की उम्मीद पर टिकी हैं। यह सीजन पहले सत्र में 14 दिसंबर तक चलेगा और दोबारा 14 जनवरी से शुरू होगा।

ऐसे में बाजार में छाई सुस्ती को दूर करने के लिए खुदरा व्यापार को चुस्त-दुरुस्त करना जरूरी है जिससे अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा और बाजारों में खरीद का माहौल बनेगा। कैट ने कहा है कि अर्थव्यवस्था से सभी सेक्टरों में केवल रिटेल व्यापार ही अकेला ऐसा सेक्टर है जिसके लिए न तो कोई नीति है न ही कोई मंत्रालय है। इसलिए सरकार को तुरंत रिटेल व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए और केंद्र में अलग से एक आतंरिक व्यापार मंत्रालय गठित करना चाहिए। रिटेल व्यापार को रेगुलेट एवं मॉनिटर करने के लिए एक रिटेल रेगुलेटरी अथॉरिटी भी बनाई जाए।

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