भावांतर योजना: मंत्रियों ने किया विरोध, हिंसक हुए किसान, CM परेशान

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह की महत्वाकांक्षी भावांतर भुगतान योजना गले की हड्डी बन गई है। इधर मंत्रियों ने इस योजना का विरोध किया है तो उधर आगर मालवा मंडी में किसानों ने तोड़फोड़ और पथराव कर दिया। तहसीलदार घायल हो गए। जिस योजना के माध्यम से किसानों में एतिहासिक लोकप्रियता हासिल करने की प्लानिंग की गई थी अब उसी योजना में बदनामी बचाने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की है। उन्होंने कहा कि भावांतर योजना के तहत हर किसान को फसल का उचित दाम मिले। यह मेरा टास्क है। उन्होंने कहा कि पायलेट प्रोजेक्ट के तहत योजना लागू की गई है। यदि कोई कमी होती है इसे दूर किया जाएगा। यह योजना मप्र के बाद पूरे देश में लागू होगी। 

मंत्रियों ने किया विरोध
इससे पहले सुबह मंत्रिमंडल की अनौपचारिक बैठक में कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि उड़द के दाम बहुत गिर गए हैं। इसे योजना से बाहर कर समर्थन मूल्य में उड़द की खरीदी की जाए लेकिन वित्त मंत्री जयंत मलैया ने योजना का समर्थन करते हुए कहा कि योजना किसान हितैषी है। इसको कड़ाई से लागू करने की जरूरत है। 

ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने कहा कि मेरे पास शिकायत आ रही है कि व्यापारी नगद भुगतान नहीं कर रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस ने कहा कि मंडियों में बहुत भीड़ हो रही है। टोकन सिस्टम लागू किया जाना चाहिए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी मंत्री प्रभार वाले जिलों से फीडबैक लेकर बताएं कि योजना में कहां दिक्कत आ रही है। इसे लागू रखा जाए या फिर इसमें कोई बदलाव की जरूरत है। 

सांसद ने प्रमुख सचिव से पूछा, आप मैदान में आएंगे या मैं जाऊं 
भाजपा सांसद अनूप मिश्रा ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा को पत्र लिखकर कहा है कि भावांतर योजना के क्रियान्वयन में ऐसा नहीं दिख रहा है कि यह शिवराज सरकार का किसान हितैषी निर्णय है। जिस तरह इस योजना को लागू किया गया है, उससे किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। यह योजना वल्लभ भवन में बैठ कर बनाई गई है। अब आप मंडियों में पहुंचकर फीडबैक लें। किसानों और व्यापारियों के बीच बैठकर चर्चा करें या फिर मैं मंडियों में जाऊं, यह आपको तय करना है। अन्यथा आपका विभाग मुख्यमंत्री की छवि को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है जो मुझे मंजूर नहीं होगा।

योजना पर इसलिए उठ रहे हैं सवाल
ग्राम सभाओं में किसानों को बताया गया था कि व्यापारी को बेची गई फसल और एमएसपी के बीच का अंतर सरकार देगी। जबकि ऐसा नहीं है। सरकार एमएसपी और माडल प्राइज के अंतर की राशि किसानों के खाते में ट्रांसफर करेगी।

सीएम के बयान और आयकर के नियम में विरोधाभास
मुख्यमंत्री ने कहा था कि किसानों को 50 हजार रुपए नकद दिए जाएंगे लेकिन व्यापारी आयकर विभाग की गाइड लाइन का हवाला देकर 10 हजार रुपए से ज्यादा नहीं दे रहे हैं। व्यापारी किसानों से फसल, खासकर उड़द एमएसपी से अाधे दाम में खरीद रहे हैं। राज्य में उड़द औसत भाव 2500 रुपए है, जबकि एमएसपी 5400 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।

कलेक्टरों ने बताई परेशानियां
जबलपुर में अन्य जिलों से उड़द आ रही है। इसलिए दाम गिर रहे हैं: महेश चंद्र चौधरी, जबलपुर कलेक्टर
आसपास के जिलों के कलेक्टर से बात करें और समाधान निकालें: सीएम 
मंदसौर जिले की मंडी में कर्मचारियों की कमी है: ओपी श्रीवास्तव, मंदसौर कलेक्टर
3 माह के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था आउटसोर्स से कर लें: सीएम 
आगर मालवा में असमाजिक तत्व मंडियों में माहौल बिगाड़ रहे हैं: अजय गुप्ता, आगर मालवा कलेक्टर
ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जाए: सीएम

आगर मालवा मंडी में क्यों हिंसक हुए किसान 
किसानों ने सोमवार को मंडी में जमकर तोड़फोड़ व पत्थरबाजी की। पत्थर लगने से तहसीलदार मुकेश सोनी व कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। किसानों ने पौन घंटे तक किसानों ने जमकर उत्पात मचाया। मंडी गेट पर बने चेक पोस्ट पर लगे कांच, माइक व लाउड स्पीकर और 6 तौल कांटे भी तोड़ दिए। पुलिस ने हालत पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। 12 लोगों को थाने लाया गया है। किसानों का कहना था कि प्रदेश की अन्य मंडियों में सोयाबीन 2500-2600 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है, जबकि यहां व्यापारी 2100-2200 के भाव में सोयाबीन खरीद रहे हैं।

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