
मित्तल ने कहा कि कारोबार आसान किया जाना अब भी मुख्य चुनौती बना हुआ है। मैं जानता हूं कि सरकार इस पर ध्यान दे रही है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि हमारा रैंक सुधरे। घाना में एक विलय की मंजूरी महज तीन दिन में मिल जाने की बात का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि वह कैसे हैरान हो गये थे। उन्होंने आगे कहा कि हम तीन दिन नहीं कर सकते, लेकिन 30 दिन या 60 दिन तो कर ही सकते हैं। हमें सच में ऐसी रुपरेखा की जरूरत है।
मित्तल ने किसी पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी का अपनी प्रवर्तक कंपनी में विलय के बारे में कहा कि देश में आवश्यक मंजूरियां मिलने में पांच महीने तक लग जाते हैं। समाधान सुझाते हुए उन्होंने कहा कि एक मंत्रिस्तरीय समिति होनी चाहिए, जो उद्योग जगत के सुझावों पर ध्यान दे और उन्हें अमल में लाये। उन्होंने बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की सरकार की योजना की सराहना की। इससे बैंकों को राहत मिलेगी।
उन्होंने चालू वित्त वर्ष में निवेश दो गुना करने का हवाला देते हुए संकेत दिया कि अगले तीन साल की अवधि में कंपनी 75 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी। विश्व बैंक द्वारा कारोबार की आसानी के आधार पर तैयार रिपोर्ट में 190 देशों में भारत को 130वें स्थान पर रखा गया है।