आरुषि तलवार की जन्म पत्रिका में छुपा है हत्या का रहस्य

आरुषि हत्याकांड एक बार फिर चर्चाओं में है। 125 करोड़ की आबादी वाले देश में हजारों मर्डर तथा अपराध होते हैं परंतु कुछ घटनाक्रम ही इतना चर्चा में होते है जितना आरुषि तलवार हत्याकांड हुआ। सबसे विचित्र बात यह है की आजतक पुलिस और सीबीआई हत्यारे का पता तक नही लगा पाई। सवाल यह है कि क्या सीबीआई इतनी अयोग्य है या फिर इस घटना विशेष का ग्रहों से कोई ऐसा संबंध था। आइए अध्ययन करते हैं आरुषि तलवार की जन्म पत्रिका का। तलाशते हैं उन तमाम सवालों के जवाब जो अब तक अधूरे हैं। 

आरुषि की पत्रिका
आरुषि का जन्म 24 मई 11994 को वृश्चिक राशि में हुआ चंद्रलग्न का स्वामी मंगल केतु के साथ स्थित है। ऐसा जातक उग्र विचारों वाला तथा आत्मघाती होता है। पत्रिका में शनि सबसे मजबूत स्थिति में है जिससे आरुषि को उच्च रहनसहन तथा शानदार जीवन मिला, चंद्रलग्न के स्वामी मंगल पर केतु तथा शनि की तीसरी दृष्टि अपनी नीच राशि पर पड़ रही है। इसके साथ ही तुला राशि के गुरु की दृष्टि भी मंगल पर है।

इसलिए मिली सहानुभूति
आरुषि की पत्रिका में शनि मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में है। जिसने उच्चस्तर जीवन अच्छा रहनसहन जीते जी समाज में अच्छी स्थिती तथा मरने के बाद भी इतना नाम दिया। ध्यान रहे जिसकी भी पत्रिका में कुम्भ राशि का शनि होता है उस व्यक्ति की समाज में चर्चा बहुत होती है, लोग उसे प्यार करते हैं, अनजान लोगों को भी वो अपना सा लगता है। शनि के इस प्रभाव के कारण ही आरुषि का इतना नाम हुआ। वो लोग भी सड़कों पर उतर आए जो आरुषि को जानते तक नहीं थे। 

माता पिता को कष्ट के कारण
जिस समय आरुषि की हत्या हुई उस समय आरुषि शनि में केतु की दशा में चल रही थी। निश्चित रूप से आरुषि की हत्या में शनि अर्थात नौकर का हाथ होना चाहिये। आरुषि को लगी शनि की दशा उनके मां बाप के लिये कष्टकारी रही। किसी भी व्यक्ति को जब शनि की दशा लगती है तब उस समय उसके माता और पिता को कष्ट अवश्य होता है यही कष्ट आरुषि के माता पिता को भी हुआ।

गलत संगत का संकेत
आरुषि की पत्रिका में गुरु और राहु का चांडाल योग भी है। यह योग जिसकी पत्रिका में होता है वह व्यक्ति अपने शिक्षाकाल में किसी गलत संगत में अवश्य पड़ता है। चांडाल योग मतलब गुरु (पंडित) का शराबी मांसाहारी या नशेड़ी के संगत में रहना। फलस्वरूप गलत लोगों और गलत संगत में जाना तथा बाद मॆ अपराध का होना इस चांडाल योग का परिणाम होता है।

मंगल और केतु के कारण हुई हत्या
मंगल शस्त्र का कारक होता है केतु मंगल जैसा ही परिणाम देता है। आरुषि की पत्रिका में मेष का मंगल और केतु है जिसने उनकी हत्या करवाई।

बुध शुक्र का योग
आरुषि की पत्रिका में मिथुन राशि में बुध शुक्र की युति है मिथुन राशि स्त्री पुरुष के जोड़े को इंगित करता है तथा बुध शुक्र प्रेम सम्बंधी कार्य को इंगित करता है।

शनि ने CBI जांच को बिफल कराया
हमारे ज्योतिष आकलन के अनुसार बाल्यअवस्था में बच्चों की मासूमियत का फायदा घर में काम करने वाले नौकर ही अधिक उठाते है क्योंकि वे ही उनके अधिक नज़दीक रहते हैं। उच्च रहनसहन में रहने वाले लोगो के यहाँ नौकरों द्वारा अपराध होना शनिग्रह का दुष्प्रभाव ही होता है। आरुषि हत्याकांड में शनि महाराज मुख्य भूमिका में है इसमे नौकर, पुलिस, सीबीआई तथा न्यायालय ने शनि ग्रह का कार्य किया इसी शनि ने आरुषि केस को इतना नाम दिया।

निष्कर्ष
यह पत्रिका बताती है कि आरुषि गलत संगत में थी। शायद कोई प्रेम प्रसंग भी बना हो। ग्रह योग उसकी हत्या का आरोपी उसके नौकर को बताते हैं अत: जांच का बिन्दु यह नहीं होना चाहिए कि आरुषि की हत्या किसने की, जांच का बिन्दु यह होना चाहिए कि उसके नौकर की हत्या किसने की। यदि नौकर का हत्यारा मिल जाए तो पूरी कहानी सामने आ सकती है। यह भी तय है कि जिस दिन शनि की दशा समाप्त होगी। इस हत्याकांड का खुलासा जरूर हो जाएगा। 
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु
9893280184,7000460931

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !