करवा चौथ व्रत का शुभफल प्राप्त नहीं होगा, यदि ये गलतियां कर लीं

करवा चौथ का व्रत भारत की ज्यादातर हिंदू महिलाएं करतीं हैं। यह देश का सबसे लोकप्रिय व्रत हैं परंतु पिछले कुछ सालों में यह फिल्मी ज्यादा हो गया है। इसके पारंपरिक मूल्यों को महिलाएं भूलने लगीं हैं, यही कारण है कि करवा चौथ का व्रत करने के बाद भी शुभफल प्राप्त नहीं होता। जी हां, करवा चौथ के व्रत में कुछ सावधानियां भी रखनी होतीं हैं। केवल निर्जल रहना पर्याप्त नहीं है। यह केवल पति नहीं लंबी आयु का व्रत नहीं है बल्कि इसके और भी निहितार्थ हैं। पति की आयु तो इस व्रत का एक अंश मात्र है। इसलिए ध्यान से पढ़ें कि क्या करना है और क्या नहीं करना है। 

पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इससे महिलाओं का सौभाग्य भी बढ़ता है। इस व्रत में महिलाएं सुबह 4 बजे उठकर सरगी खाती हैं और दिनभर पानी तक नहीं पीती हैं। कई पति भी पत्नी के साथ यह व्रत करते हैं। महिलाएं चंद्रोदय के समय पूजा की थाली सजाती हैं। डा. आचार्य सुशांत राज के अनुसार  इस व्रत में चांद देखने से पहले महिलाएं यदि सास, मां या अन्य किसी बुजुर्ग का अनादर करती हैं तो यह व्रत पूरा नहीं माना जाता है। क्योंकि इस व्रत में पति की कामना के साथ ही बड़े-बुजुर्गों का भी महत्व होता है। इस दिन गौरी मां की पूजा की जाती है। उन्हें हलवे-पूरी का भोग लगाने के बाद यह प्रसाद आदर पूर्वक अपनी सास को देना न भूलें। 

इस व्रत के दिन विवाहित महिलाएं चांद देखने से पहले किसी को भी दूध, दही, चावल, सफेद कपड़ा या कोई भी सफेद वस्तु न दें। माना जाता है कि ऐसा करने से चंद्रमा नाराज हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।

इस दिन गेहूं अथवा चावल के 13 दानें हाथ में लेकर कथा सुननी चाहिए। मिट्टी के करवे में गेहूं, ढक्कन में चीनी एवं उसके ऊपर वस्त्र आदि रखकर सास, जेठानी को देना चाहिए। रात में चंद्रमा उदय होने पर छलनी की ओट में चंद्रमा का दर्शन करके अर्घ्य देने के पश्चात व्रत खोलना शुभप्रद रहता है। 

शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल में द्रोपदी ने अर्जुन के लिए यह व्रत किया था। वहीं व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इस दिन लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। इस दिन महिलाओं को चाहिए कि वे पूर्ण 16 श्रृंगार करें और अच्छा भोजन खाएं। इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख भी मिल सकता है।

इस तिथि का समापन नौ अक्तूबर को मध्याह्न 2.16 मिनट पर होगा। इस बार चंद्रोदय 8 अक्तूबर को रात्रि 8.10 मिनट पर हो रहा है। आचार्य संतोष खंडूरी के अनुसार करवा चौथ पर पूजा का मुहूर्त शाम 5.54 मिनट से शाम 7.10 मिनट तक शुभ रहेगा।

इस अवधि में शुभ की चौघड़िया एवं सूर्य की होरा रहेगी। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन किया जाता है। चतुर्थी के देवता भगवान गणेश हैं। इस व्रत में गणेश जी के अलावा शिव-पार्वती, कार्तिकेय और चंद्रमा की भी पूजा की जाती है।
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