तिलमिलाई स्मृति ईरानी ने भूख का मुद्दा देश के सम्मान से जोड़ दिया

नई दिल्ली। हाल ही में वैश्विक भुखमरी सूचकांक जारी हुआ है। इसमें भारत की हालत और ज्यादा नीचे चली गई है। बताया गया है कि भारत में भुखमरी का स्तर म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों से भी खराब है। निश्चित रूप से यह चिंता की बात है और इसके लिए विपक्ष का अधिकार है कि वो सत्ता पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने भी तंज कसा लेकिन इससे तिलमिलाई केंद्रीय कपड़ा और सूचना व प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मुद्दो को भी देश के सम्मान से जोड़ दिया। शायरना अंदाज में ट्वीट करते हुए ईरानी ने कहा कि जो लोग भारत में भूख का मुद्दा उठा रहे हैं, वो देश को बदनाम कर रहे हैं। ईरानी सूचना व प्रसारण मंत्री हैं। उनके बयानों को मसाले के साथ पेश करना उन तमाम बड़े मीडिया घरानों की मजबूरी है जो सरकार से विज्ञापन के नाम पर वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं। 

कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने वैश्विक भुखमरी सूचकांक के संदर्भ में बिजनेस स्टेंडर्ड जैसे प्रतिष्ठित अखबार की एक खबर को कवि दुष्यंत कुमार की कुछ पंक्तियों के साथ ट्वीट किया था। यह पंक्तियां थीं, 
भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ। 
आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ।।

उम्मीद थी कि सरकार इस मामले में बचाव करेगी और कोई दावा करेगी कि वो कब तक वैश्विक भुखमरी सूचकांक में शर्मनाक स्थिति से भारत को बाहर निकाल लेंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ। स्मृति ईरानी ने भूख को छोड़ सवाल उठाने को ही मुद्दा बना लिया। ईरानी ने लिखा: 
'ए सत्ता के भूखे सब्र कर, आंकड़े साथ नहीं तो क्या; 
खुदगर्जों को जमा कर, मुल्क की बदनामी का शोर तो मचा ही लेंगे।'

बता दें कि कुपोषण से मौतें भारत की बड़ी समस्या हैं। इस दिशा में कई संस्थाएं पहले भी चेतावनी जारी कर चुकीं हैं। मासूम बच्चों की एक बड़ी संख्या है जो 5 साल की उम्र पूरी करने से पहले ही मर जाती है। उत्तरप्रदेश के एक अस्पताल में तो प्रतिदिन 50 बच्चे मर जाते हैं। बावजूद इसके सरकारें रोडमैप बनाने के बजाए सोशल मीडिया पर बयान देने पर ज्यादा ध्यान दे रहीं हैं। 

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