प्रे बोर्न बेबी है भावांतर भुगतान योजना, अब जान बचाने की जद्दोजहद

भोपाल। गुस्साए किसानों को खुश करने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भावांतर भुगतान योजना की शुरूआत की लेकिन यह योजना ​प्रे बोर्न बेबी निकली। पैदा होते ही बीमार हो गई। अब योजना की जान और चुनाव में अपनी जीत बचाने के लिए सीएम शिवराज सिंह फिर से जद्दोजहद कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहली योजना है जिसका विरोध किसान से लेकर मंत्रियों तक ने किया है लेकिन सीएम को भरोसा है कि वो बच्चे को बचा लेंगे और बच्चा बड़ा होकर किसानों को फायदा पहुंचाएगा। 

सोमवार को मंत्रालय में कलेक्टर-कमिश्नर के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को ताकीद करते हुए कहा कि किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम दिलाने में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में मंडियों की मॉनिटरिंग के साथ-साथ फसलों की बोली लगाए जाने की प्रक्रिया की भी निगरानी किए जाने के निर्देश दिए हैं।

सीएम ने कहा कि अगर किसानों को लगता है कि बोली के दौरान उन्हें फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है तो बोली को स्थगित कर दोबारा से प्रक्रिया की जाए। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि वो खुद मंडियों में होने वाली खरीदी की सुबह-शाम मॉनिटरिंग करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने खरीदी में गड़बड़ी करने वाले बिचौलियों और जानबूझकर माहौल बिगाड़ने वाले अराजक तत्वों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने किसानों को पचास हजार रुपए तक का नगद भुगतान सुनिश्चित किए जाने के लिए भी अधिकारियों से कहा है. मुख्यमंत्री ने कैश भुगतान को लेकर व्यापारियों में फैले भ्रम को दूर करने की बात कही. तय किया गया है कि भावांतर भुगतान योजना की खरीदी का ज़मीनी स्तर पर जायजा लेने के लिए प्रदेश स्तर से अधिकारी जाएंगे. इस दौरान वो किसानों और व्यापारियों से बातचीत करेंगे. किसानों को भावांतर योजना की सही जानकारी देने के लिए मंडियों में बोर्ड लगाए जाने के निर्देश दिए गए हैं.

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