प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में नहीं हुई सुनवाई, नई DATE मिली

भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की अपील में आज भी सुनवाई हो सकी। बताया गया है कि आज लिस्टेड सभी प्रकरण बेंच द्वारा नहीँ लिये गये। इस स्थिति में अधिवक्ताओं द्वारा प्रकरण की गंभीरता पुन: अलग से आवेदन कर बेंच को स्पष्ट की गई। यह भी बताया गया कि सुनवाई के अभाव और मान न्यायालय के यथास्थिति के आदेश के कारण मप्र में पदोन्नतिया लंबे समय से रुकी है तथा बिना पदोन्नति के हजारों कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके हैं। बेंच ने 10-अक्टूबर प्रकरण को 1-न पर लेने का आदेश पारित किया। सपाक्स (प्रतीवादीयो) की ओर से श्री रामजेठमालानीजी, श्री नरेश कौशिक व श्री कुमार परिमल ने पक्ष रखा।

कर्नाटक सरकार केस हार चुकी है 
प्रेस रिलीज के अनुसार दिनांक 09.02.2017 को भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ताजा निर्णय में कर्नाटक राज्य के पदोन्नति नियमों को संविधान सम्मत न पाते हुये परिणामी वरिष्ठता दिये जाने को गलत ठहराया था एवं सभी पदोन्नतियों की पुनर्समीक्षा करने के आदेश पारित किये थे। मध्यप्रदेश शासन के पदोन्नति नियम भी संविधान सम्मत न पाये जाने के कारण माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा अपात्र घोषित किये गये थे। 

आधा दर्जन राज्यों में प्रमोशन में आरक्षण खत्म
यह उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार, हिमांचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक राज्यों के पदोन्नति नियम असंवैधानिक होने की पुष्टि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अब तक की जा चुकी है। चूंकि मध्यप्रदेश पदोन्नति नियम भी इन्हीं आधारों पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अपास्त किये गये थे। अतः इन नियमों के असंवैधानिक होने की माननीय सर्वोच्च न्यायालय की पुष्टि होना लगभग निश्चित है।

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