BHOPAL में बन रहा है देश का सबसे बड़ा म्यूजिकल फाउंटेन

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में देश का सबसे बड़ा म्यूजिकल फाउंटेन बन रहा है। भोपाल के बड़े ताल पर इस म्यूजिकल फाउंटेन की मदद से भोपाल का इतिहास दिखाया जाएगा। बड़े तालाब के भीतर लगने वाला फ्लोटिंग फाउंटेन 90 मीटर ऊंचा और 10 मीटर चौड़ा यानि 900 वर्ग मीटर होगा। अब तक देश में सबसे बड़ा फ्लोटिंग फाउंटेन साइंस सिटी अहमदाबाद में है। यह 800 वर्ग मीटर का है। जीवन वाटिका पार्क में एम्फीथिएटर के साथ तालाब के भीतर फ्लोटिंग फाउंटेन की तैयारी भी चल रही है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में इस फाउंटेन के तैयार होने की उम्मीद है। यहां एम्फीथिएटर निर्माण के साथ फाउंटेन की असेंबली जारी है। इस फाउंटेन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें 116 थ्री डी नोजल लग रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में यह अत्याधुनिक नोजल पूरे देश में कहीं नहीं हैं। इसके अलावा इसमें 45 नोजल 2डी भी होंगे। यह सभी कम्प्यूटर द्वारा संचालित होंगे।

जीवन वाटिका पार्क के पास ही वन विहार होने से यह भी ध्यान रखा गया है कि शो के कारण किसी तरह का शोर न हो। इस शो के लिए साउंड सिस्टम को विशेष तौर पर इस प्रकार से डिजाइन किया गया है जिससे 250 मीटर के बाहर इसकी आवाज दो लोगों की सामान्य बातचीत यानी कि 65 डेसिबल से भी कम हो। इस फाउंटेन को लगाने के लिए बड़े तालाब के भीतर कोई निर्माण नहीं किया जाएगा, बल्कि यह अपने वजन से तालाब में फ्लोट करेगा।

300 लोगों की क्षमता
जीवन वाटिका उद्यान से 200 फीट अंदर लगने वाले इस फ्लोटिंग फाउंटेन के लाइट एंड साउंड शो को देखने के लिए फिलहाल यहां 300 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। जीवन वाटिका का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यहां विंड वेलोसिटी सबसे कम है। शो जीवन वाटिका पार्क के भीतर से ही देखा जा सकेगा। पार्क के बाहर से यह शो नहीं दिखेगा। फाउंटेन की विशेषता यह है कि इसमें 100 x 60 फीट का विशाल पानी का पर्दा होगा जिसे पर भोपाल की कहानी दिखाई जाएगी।

अक्षरधाम मंदिर से दोगुना बड़ा 
अक्षरधाम मंदिर में लगे फ्लोटिंग फाउंटेन की वाटर स्क्रीन भोपाल फाउंटेन से आधी है।यही नहीं देश में अन्य स्थानों पर लगे इसी तरह के फाउंटेन के मुकाबले भोपाल का फाउंटेन सबसे अलग और भव्य है। अक्षरधाम मंदिर की वाटर स्क्रीन 75 फीट लंबी और 45 फीट चौड़ी यानी 3325 वर्ग फीट है, वहां चार प्रोजेक्टर लगे हैं और थ्री डी नोजल की संख्या 91 है। भोपाल में वाटर स्क्रीन 100 फीट लंबी और 60 फीट चौड़ी यानी 6000 वर्ग फीट है। इसमें 121 थ्री डी नोजल होंगी।

प्रतिहार वंश से नवाब काल तक का इतिहास दिखेगा
वाटर स्क्रीन पर चलने वाली फिल्म प्रतिहार काल (यानी राजा भोज के पूर्व के कालखंड) से शुरू होगी। राजा भोज द्वारा बसाए प्राचीन नगर भोजपाल की स्थापना, रानी श्यामली द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना, रानी कमलापति का देहत्याग और उनके पुत्र कुंवर नवल शाह के बलिदान से लेकर विलीनीकरण आंदोलन तक सब दिखाया जाएगा। फिल्म की शुरुआत में बताया जाएगा कि राजा भोज द्वारा भोजपाल की स्थापना से पहले यहां क्या था। भोजपाल नगर की स्थापना लेकर रानी श्यामली द्वारा प्राचीन विश्वविद्यालय सभा मंडल की स्थापना के ऐश्वर्य पूर्ण कालखंड को इस शो में शामिल किया जाएगा। फिल्म की स्क्रिप्ट बताती है कि यह विश्वविद्यालय 1184 में तैयार हुआ था। इसमें 500 से अधिक आचार्य संस्कृत भाषा में 27 से अधिक विषय पढ़ाते थे। इस फिल्म में नवाबों और बेगमों के कालखंड में हुए निर्माण कार्यों से लेकर भोपाल विलिनिकरण आंदोलन को भी शामिल किया जाएगा।

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