निर्मला सीतारमण: शनिदेव की कृपा ने दिलाया उच्चपद

कहते है शनिकृपा राजा को रंक और रंक को राजा बनाने में समर्थ है। इतिहास शनिदेव की ऐसी घटानाओं से भरा पड़ा है लेकिन निर्मला सीतारमण का रक्षा मंत्रालय संभालना ज्योतिष के सिद्धांतों को प्रमाणित करने जैसा है। निर्मला सीतारामण पर शनिदेव की कृपा 2019 तक रहेगी। इस दौरान वो कुछ ऐसा कर जाएंगी जो एतिहासिक होगा और उन्हे वर्षों तक याद किया जाएगा। जो लोग निर्मला सीतारामण को डमी मंत्री मान रहे हैं, उनकी गलतफहमी दूर हो जाएगी। 

जन्म के ग्रहों का गोचर से भ्रमण
यह ज्योतिष का ऐसा सिद्धांत है कि इसे कोई भी सामान्य व्यक्ति समझ सकता है। जब किसी जीव का इस धरती में जन्म होता है उस समय आकाशमंडल में जो ग्रहयोग बन रहे हैं वही ग्रहयोग जब वापस बनते हैं तब उस योग से जुड़ी घटना इस संसार में जन्म लेती है। मान लो किसी की पत्रिका में शनि शश योग का निर्माण कर रहा है। समयांतर में फ़िर जब शनि महाराज उसी राशि में आयेंगे तो *शनि महाराज शष योग से जुड़े परिणाम सामाजिक ख्याति और राज्यसम्मान दिलाते है। यही परिणाम शनि महाराज ने निर्मला सीतारामन को देश के रक्षामंत्री का पड़ देकर किया है।

सीतारामन की कुंडली
इनका जन्म 19 अगस्त 1959 को कुम्भ राशि में हुआ है सिंह राशि का सूर्य, मंगल ने इन्हे उच्च रक्षामंत्रालय पद दिया। चंद्र तथा सूर्य से केन्द्र में वृश्चिक राशि का गुरु मान सम्मान तथा राज्यपद दे रहा है। धनु राशि का शनि लाभ भाव में बैठा है वही धनु राशि का शनि इस समय गोचर में भ्रमण कर रहा है इसी शनि ने निर्मला सीतारमन को उच्चपद दिया।

श्रेष्ठ अभी बाकी है
शनि और गुरु दो ग्रह को एक साथ फिरसे जन्म की स्थिति जैसे आ रहे है। शनि महाराज धनु राशि में आकर वक्री मार्गी होकर 25 अक्टूबर को पुन धनु में जायेंगे। वही इनकी पत्रिका में स्थित वृश्चिक का गुरु 2018 से फ़िर वृश्चिक में भ्रमण करेगा। इस समय शनि और गुरु दोनों की स्थिति जन्मकालिक स्थिति से मेल खायेगी। यदि कोई उलटफेर न हुआ तो 2018 सितम्बर से 2019 सितम्बर तक का समय इनके जीवन का श्रेष्ठ समय रहेगा।

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